Hike vs WhatsApp: भारत की एक प्रमुख तकनीकी कंपनी हाइक (Hike), जो कभी व्हाट्सएप की टक्कर में जानी जाती थी, ने अपने सभी परिचालनों को बंद करने का ऐलान कर दिया है. 13 साल के सफर के बाद यह कंपनी अब अपने दरवाजे बंद करने जा रही है.
इसका कारण हाल ही में भारत सरकार द्वारा रियल-मनी गेमिंग (RMG) पर लगाया गया प्रतिबंध बताया जा रहा है. कंपनी के संस्थापक और सीईओ कविन मित्तल ने इस कठिन फैसले की जानकारी अपने सबस्टैक न्यूजलेटर में दी. आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं.
हाइक का उदय और लोकप्रियता
2012 में शुरू हुई हाइक ने मैसेंजिंग ऐप के रूप में अपनी शुरुआत की थी. इसने तेजी से भारतीय बाजार में अपनी जगह बनाई और व्हाट्सएप को कड़ी टक्कर दी. अपने चरम पर, हाइक के पास 4 करोड़ मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता थे, और इसे भारत का 35वां सबसे पसंदीदा कंज्यूमर ब्रांड माना गया.
बाद में कंपनी ने गेमिंग क्षेत्र में कदम रखा और अपने रश (Rush) प्लेटफॉर्म के साथ कैजुअल प्लेयर-वर्सेज-प्लेयर (PvP) गेमिंग को बढ़ावा दिया. इस प्लेटफॉर्म ने 1 करोड़ उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा पार किया और चार साल में 50 करोड़ डॉलर से अधिक का राजस्व अर्जित किया.
सरकारी नीति ने बदली राह
हाइक का परिचालन बंद करने का मुख्य कारण भारत सरकार का रियल-मनी गेमिंग पर प्रतिबंध है. नए ऑनलाइन गेमिंग विधेयक के तहत, रश जैसे प्लेटफॉर्म को भारत में संचालन बंद करना पड़ रहा है. कविन मित्तल ने अपनी पोस्ट में लिखा, "सरकार का रुख अब स्पष्ट है. यह फैसला निराशाजनक है, लेकिन इससे मिली सीख अमूल्य है." कंपनी ने हाल ही में अमेरिका में भी अपने परिचालन की शुरुआत की थी, लेकिन अब वहां भी कारोबार बंद करने का फैसला लिया गया है.
आर्थिक चुनौतियां और बंदी का फैसला
कविन मित्तल ने बताया कि कंपनी की वित्तीय स्थिति पिछले सात महीनों में कमजोर हुई, और अब केवल चार महीने की वित्तीय क्षमता बची है. उन्होंने कहा, "ग्लोबल विस्तार के लिए पूंजी और रणनीतिक बदलाव की जरूरत थी, लेकिन यह उछाल अब आगे बढ़ने लायक नहीं है." 13 साल बाद पहली बार मित्तल ने माना कि यह सफर न उनके लिए, न उनकी टीम के लिए, और न ही निवेशकों के लिए आगे बढ़ने योग्य है.
हाइक की विरासत और भविष्य
हाइक ने अपने 13 साल के सफर में तकनीकी नवाचार और उपयोगकर्ता अनुभव के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए. मित्तल ने अपनी टीम की तारीफ करते हुए कहा, "यह एक अविश्वसनीय समूह था, जिसने अपना सब कुछ झोंक दिया." हालांकि कंपनी का अंत दुखद है, लेकिन इसने भारतीय तकनीकी क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है.