बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने राजबाड़ी जिले में 29 वर्षीय हिंदू युवक अमृत मंडल उर्फ सम्राट की लिंचिंग की कड़ी निंदा की है, लेकिन जोर देकर कहा कि यह घटना सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी नहीं है.
चीफ एडवाइजर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार रात जारी बयान में इसे आपराधिक गतिविधियों से उपजी हिंसा बताया. इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
बुधवार रात पांग्शा उपजिला के हुसैनडांगा पुराने बाजार में अमृत मंडल पर भीड़ ने हमला किया, जिससे उनकी मौत हो गई. सरकार के बयान के अनुसार, पुलिस की प्रारंभिक जांच से स्पष्ट है कि यह सांप्रदायिक आधार पर नहीं हुई. मंडल पर हत्या, जबरन वसूली सहित कई गंभीर आपराधिक मामले 2023 में दर्ज थे और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी थे.
बयान में कहा गया कि मृतक एक सूचीबद्ध शीर्ष अपराधी था, जो इलाके में जबरन वसूली के लिए आया था. स्थानीय लोगों के साथ झड़प में उसकी जान गई. सरकार ने इसे आपराधिक विवाद का परिणाम बताया और सांप्रदायिक एंगल से पूरी तरह इनकार किया. हालांकि, इस सफाई पर विपक्षी और अल्पसंख्यक संगठनों ने सवाल उठाए हैं, क्योंकि देश में हाल की अशांति के बीच ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं.
अमृत मंडल दूसरा हिंदू युवक है, जिसकी हालिया अशांति के दौरान लिंचिंग हुई. इससे पहले मैमनसिंह में गारमेंट फैक्ट्री कर्मचारी दीपू चंद्र दास को कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने मार डाला था, हालांकि दावा किया गया कि उन्हें झूठा फंसाया गया.
देश में हिंसा का नया दौर युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद शुरू हुआ. हादी इंकलाब मंच के सह-संस्थापक और प्रवक्ता थे, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में अहम भूमिका निभाई थी.
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय में ये लगातार घटनाएं भय का माहौल पैदा कर रही हैं. शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अंतरिम व्यवस्था में कानून-व्यवस्था कमजोर होने के आरोप लग रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि आपराधिक तत्व राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठा रहे हैं, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है.