तारिक रहमान की आज हो रही देश में वापसी, बांग्लादेश की राजनीति में आया नया मोड़

बांग्लादेश की राजनीतिक गलियारों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के पुत्र तारिक रहमान गुरुवार को ढाका लौट रहे हैं.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: X

बांग्लादेश की राजनीतिक गलियारों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के पुत्र तारिक रहमान गुरुवार को ढाका लौट रहे हैं. यह घटना बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, खासकर फरवरी में होने वाले चुनावों के ठीक पहले. 

रहमान को कभी राजनीति का 'डार्क प्रिंस' कहा जाता था, लेकिन अब वे लोकतंत्र के प्रतीक के रूप में उभर रहे हैं. उनकी वापसी हिंसा और अस्थिरता से जूझ रहे देश के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है, साथ ही पड़ोसी भारत की सुरक्षा चिंताओं को भी प्रभावित करेगी.

भारत के लिए क्यों अहम है यह घटना

नई दिल्ली के लिए तारिक रहमान की वापसी बेहद महत्वपूर्ण है. अवामी लीग को चुनाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है और खालिदा जिया अस्पताल में भर्ती हैं. अंतरिम प्रमुख मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी तत्वों का प्रभाव बढ़ा है, जो भारत विरोधी भावनाओं को भड़का रहे हैं. विशेष रूप से जमात-ए-इस्लामी ने राजनीतिक मंच पर वापसी की है. शेख हसीना सरकार द्वारा प्रतिबंधित इस संगठन की हालिया सक्रियता, जैसे ढाका विश्वविद्यालय चुनावों में छात्र शाखा की जीत, भारत की चिंता बढ़ा रही है.

एक हालिया ओपिनियन पोल के अनुसार, बीएनपी चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीत सकती है, जबकि जमात उसके निकट प्रतिद्वंद्वी है. भारत बीएनपी को एक उदार और लोकतांत्रिक विकल्प के रूप में देख रहा है, भले ही अतीत में संबंध तनावपूर्ण रहे हों. यदि बीएनपी सत्ता में आती है, तो बांग्लादेश की विदेश नीति में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है. हसीना के दौर में भारत के साथ मजबूत रिश्ते थे, चीन और पाकिस्तान से दूरी बनी रही. लेकिन यूनुस शासन में पाकिस्तान से निकटता बढ़ी है. हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खालिदा जिया की सेहत पर चिंता जताई और समर्थन की पेशकश की, जिसका बीएनपी ने सकारात्मक जवाब दिया. यह दोनों पक्षों के बीच गर्मजोशी का संकेत है.

रहमान की 'बांग्लादेश फर्स्ट' नीति और मतभेद

तारिक रहमान ने यूनुस सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं और जमात के साथ गठबंधन से इनकार किया है. इस वर्ष की शुरुआत में उन्होंने 'बांग्लादेश फर्स्ट' नीति की घोषणा की, जो अमेरिका के 'अमेरिका फर्स्ट' से प्रेरित है. उनका कहना है कि न दिल्ली, न रावलपिंडी, सबसे पहले बांग्लादेश. यह दृष्टिकोण बीएनपी को स्वतंत्र विदेश नीति की दिशा में ले जा सकता है. छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने बीएनपी पर अवामी लीग सदस्यों को शामिल करने का आरोप लगाया है, जो चुनावी समीकरण को जटिल बनाता है.