Pakistan Gaza deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना को लेकर पाकिस्तान ने अपना रुख बदल दिया है. शुरुआती चरण में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया था, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान इस डील का हिस्सा नहीं बनेगा. इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस छेड़ दी है.
पाकिस्तान ने क्यों बदला रुख?
29 सितंबर को व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने अपनी 20 पॉइंट वाली शांति योजना का ऐलान किया था. उसी वक्त उन्होंने दावा किया था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ असीम मुनीर इस योजना का “100% समर्थन” कर रहे हैं. लेकिन जैसे ही शांति प्रस्ताव के विस्तृत बिंदु सार्वजनिक हुए, पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल बढ़ गई.
विदेश मंत्री इशाक डार ने अगले ही दिन साफ किया कि यह योजना पाकिस्तान के लिए स्वीकार्य नहीं है. उनका कहना था कि ट्रंप की डील में युद्ध विराम, मानवीय सहायता की गारंटी और जबरन विस्थापन खत्म करने जैसे अहम मुद्दे शामिल नहीं हैं. ऐसे में पाकिस्तान इसका समर्थन नहीं कर सकता.
नेतन्याहू के दबाव में बदला प्रस्ताव
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और ट्रंप की मुलाकात के बाद इस योजना में कई संशोधन किए गए. ‘टाइम्स ऑफ इजरायल’ की रिपोर्ट के अनुसार, इन बदलावों में सबसे बड़ा बिंदु यह था कि गाजा से इजरायली सेना की वापसी को विशेष शर्तों से जोड़ा गया. अब यह वापसी केवल तब होगी जब हमास आत्मसमर्पण करेगा. इसके अलावा, गाजा में सुरक्षा क्षेत्र (Security Zone) बनाने का नया प्रस्ताव भी शामिल कर दिया गया.
इशाक डार ने कहा कि नेतन्याहू की इन शर्तों ने प्रस्ताव को और जटिल बना दिया. पाकिस्तान का मानना है कि इस तरह की शर्तें वास्तविक शांति स्थापित करने में बाधा बनेंगी.
पाकिस्तानी जनता और विपक्ष की आलोचना
पाकिस्तान में सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक दलों तक, ट्रंप की इस योजना और इसके समर्थन पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं. आलोचकों ने इसे फिलिस्तीनी हितों के खिलाफ बताया और सरकार पर दबाव बढ़ा दिया. यही वजह रही कि सरकार को आंतरिक राजनीतिक दबाव में आकर अपने पहले के रुख से पीछे हटना पड़ा.
इजरायल को मान्यता नहीं
इस्लामाबाद में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डिप्टी पीएम इशाक डार ने साफ कहा, “हम किसी भी समझौते का हिस्सा नहीं बनने जा रहे. पाकिस्तान की नीति स्पष्ट है हम इजरायल को मान्यता नहीं देंगे. हमारा उद्देश्य सिर्फ मानवीय सहायता पहुंचाना, खून-खराबा रोकना और वेस्ट बैंक को बचाना है.”
डार ने यह भी बताया कि कतर सहित दो अरब देशों ने हमास को समझौते के लिए राजी करने का भरोसा दिया है, लेकिन पाकिस्तान इसके बावजूद अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटेगा. अब बड़ा सवाल यह है कि पाकिस्तान का यह यू-टर्न उसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर क्या असर डालेगा. ट्रंप ने खुले तौर पर दावा किया था कि पाकिस्तान योजना का पूरा समर्थन कर रहा है, लेकिन आधिकारिक बयान ने तस्वीर बदल दी. इससे न केवल अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों में तनाव आ सकता है, बल्कि इस्लामिक देशों के बीच भी मतभेद गहराने की आशंका है.