पाकिस्तान ने आखिरकार भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए मिसाइल हमलों में अपनी एक प्रमुख सैन्य सुविधा को हुए नुकसान की पुष्टि कर ली है. पाकिस्तान पर हमला पहलगाम हमले के जवाब में था.
इस्लामाबाद के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह अक्सर भारतीय कार्रवाइयों से होने वाले नुकसानों को नकारता या कम करके आंकता रहा है. इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव को फिर से हवा दी है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शनिवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने स्पष्ट रूप से माना कि भारतीय मिसाइलों ने रावलपिंडी के चकाला क्षेत्र में स्थित नूर खान एयर बेस पर हमला किया. उन्होंने कहा कि इस हमले से सैन्य प्रतिष्ठान को नुकसान पहुंचा और वहां तैनात सैनिक घायल हुए. डार ने आगे बताया कि संघर्ष के दौरान भारत ने कई ड्रोनों का इस्तेमाल किया, जिनमें से अधिकांश को पाकिस्तानी सेना ने रोक लिया, लेकिन एक ड्रोन ने लक्ष्य पर हमला कर दिया.
उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान की ओर ड्रोन भेजे, 36 घंटों में कम से कम 80 ड्रोन दागे गए. हमने उनमें से 79 को रोक लिया, और सिर्फ एक ने सैन्य सुविधा को नुकसान पहुंचाया, जिसमें सैनिकों को चोटें आईं. डार ने यह भी कहा कि 10 मई को सुबह-सुबह नूर खान बेस पर हुआ हमला भारत की 'गलती' थी, और उन्होंने खुले तौर पर नुकसान की बात कबूल की. इस बयान से पाकिस्तान की रक्षा रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि पहले वह ऐसे हमलों को पूरी तरह नकारता रहा है.
इस स्वीकारोक्ति पर भारतीय सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इशाक डार को 'आदतन झूठा' करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान के दावों में विरोधाभास है. ढिल्लों ने बताया कि भारतीय हमलों के बाद नूर खान बेस में आग लग गई थी, जो सिर्फ एक ड्रोन से होने वाले नुकसान से कहीं ज्यादा था. उन्होंने पाकिस्तान के अपने मीडिया का हवाला देते हुए कहा कि 14 अगस्त 2025 को, पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर, समा टीवी की वेबसाइट ने ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए 138 सैनिकों के नाम प्रकाशित किए थे, जिन्हें मरणोपरांत सम्मानित किया गया.