5 नहीं, 1 साल बाद मिलेगी ग्रेच्युटी, अब जेब में आएंगे कितने पैसे? यहां समझें कैलकुलेशन

केंद्र सरकार ने श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव करते हुए 29 पुराने कानूनों को समाहित करके 4 नए श्रम कोड लागू किए हैं. इनका लाभ संगठित, असंगठित, गिग वर्कर्स, माइग्रेंट वर्कर्स, प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स और महिलाओं सहित सभी कर्मचारियों को मिलेगा.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने श्रम कानूनों में ऐतिहासिक बदलाव किया है. अब तक 29 श्रम कानूनों को सिमित कर 4 नए श्रम कानून (New Labour Codes) लागू कर दिए गए हैं, जिनका फायदा हर तरह के कर्मचारी संगठित, असंगठित, गिग वर्कर्स, माइग्रेंट वर्कर्स, प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स और महिलाएं को मिलेगा. इस बदलाव से लाखों कर्मचारियों को कई अहम फायदे मिलने जा रहे हैं, जिनमें सैलरी, ग्रेच्‍युटी, सोशल सिक्‍योरिटी, जॉब गारंटी और महिलाओं के लिए विशेष अधिकार शामिल हैं.

सबसे बड़ा बदलाव ग्रेच्युटी के नियमों में किया गया है. पहले ग्रेच्‍युटी पाने के लिए कर्मचारियों को कम से कम 5 साल तक एक ही कंपनी में काम करना जरूरी था, लेकिन अब इस नियम में बड़ा बदलाव किया गया है. अब कर्मचारियों को सिर्फ 1 साल की नौकरी के बाद भी ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलेगा, जिससे कर्मचारियों के लिए यह एक बड़ा राहत का कदम साबित होगा.

ग्रेच्‍युटी का लाभ कौन-कौन उठा सकते हैं?

पहले ग्रेच्‍युटी का लाभ सिर्फ उन पर्मानेंट कर्मचारियों को मिलता था, जो 5 साल तक एक ही कंपनी में काम करते थे. अब इसका दायरा बढ़ा दिया गया है. अब फिक्स्ड टर्म और कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर काम करने वाले कर्मचारी भी इस लाभ का फायदा उठा सकेंगे, बशर्ते वे 1 साल तक काम करें.

ग्रेच्‍युटी कैसे कैलकुलेट करें?

ग्रेच्‍युटी की कैलकुलेशन का तरीका बहुत आसान है. इसके लिए एक सिंपल फॉर्मूला है:
ग्रेच्‍युटी = अंतिम सैलरी x (15/26) x काम किए गए साल

  • उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी 60,000 रुपये है और उसने 5 साल तक काम किया है, तो उसकी ग्रेच्‍युटी होगी 60,000 x (15/26) x 5 = 1,73,077 रुपये
  • अब यदि वही कर्मचारी 1 साल काम करता है और उसकी सैलरी 50,000 रुपये है, तो उसकी ग्रेच्‍युटी होगी 50,000 x (15/26) x 1 = 28,847 रुपये

ग्रेच्‍युटी क्या है? 

ग्रेच्‍युटी एक प्रकार का तोहफा होता है जो कंपनियां अपने कर्मचारियों को उनके सेवाकाल के बदले देती हैं. पहले यह केवल पर्मानेंट कर्मचारियों को ही मिलती थी, लेकिन अब यह फिक्स्ड टर्म और कॉन्‍ट्रैक्‍ट कर्मचारियों को भी दी जाएगी, बशर्ते वे कम से कम 1 साल तक काम करें. इस बदलाव से लाखों कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी और उनके भविष्य की सुरक्षा मजबूत होगी.