GDP: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी की NSO की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में देश की अर्थव्यवस्था केवल 6.5% की दर से बढ़ी है. जो की पिछले चार सालों में सबसे धीमी वृद्धि है. पिछले साल यह आंकड़ा 9.2% था, इस बार उससे भी कम है.
NSO के आंकड़ों के मुताबिक, वास्तविक जीडीपी (GDP) में 6.5% की वृद्धि दर्ज की गई. पिछले वर्षों में महामारी के बाद अर्थव्यवस्था ने तेज उछाल दिखाया था, लेकिन इस साल मंदी देखी गई.
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च) में भारत की अर्थव्यवस्था में ग्रोथ देखा गया था. इस दौरान देश की वास्तविक जीडीपी 7.4% की दर से बढ़ी थी, इसे साल के सबसे तेज वृद्धि के रूप में देखा गया. नाममात्र जीडीपी वृद्धि भी 10.8% रही. यह सुधार अर्थशास्त्रियों के लिए राहत की बात है. कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि चौथी तिमाही के आंकड़े उम्मीद से बेहतर हैं. हालांकि जीवीए 6.8% पर कमजोर रहा. उन्होंने बताया कि उच्च शुद्ध अप्रत्यक्ष कर ने जीडीपी और जीवीए के बीच अंतर बढ़ाया. हाल के महीनों में डेटा से पता चलता है कि आर्थिक सुधार धीमा और असमान रहा है.
उपासना ने आगे कहा कि कम मुद्रास्फीति और धीमी वृद्धि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) को जून में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती का मौका दे सकती है. इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है. इस फाइनेंशियल ईयर में अर्थव्यवस्था को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. खनन और विनिर्माण क्षेत्रों में कमजोर प्रदर्शन ने वृद्धि को प्रभावित किया. हालांकि, कृषि क्षेत्र में 3.5% की वृद्धि देखी गई है. सरकार की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भी अर्थव्यवस्था को सहारा दे रही हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक ने भी FY25 के लिए 6.5% से 7% की वृद्धि का अनुमान लगाया है. यह भारत की मजबूत नीतियों और घरेलू मांग का परिणाम है.