सुप्रीम कोर्ट का मुस्लिम वसीयत मामले में केंद्र को नोटिस, संपत्ति वितरण पर बड़ा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत वसीयत के अधिकारों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. यह याचिका मुसलमानों को इंडियन सक्सेशन एक्ट, 1925 की धारा 57 और 58(1) के दायरे में लाने की मांग करती है.

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत वसीयत के अधिकारों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. यह याचिका मुसलमानों को इंडियन सक्सेशन एक्ट, 1925 की धारा 57 और 58(1) के दायरे में लाने की मांग करती है, ताकि वे अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत स्वतंत्र रूप से कर सकें.

वर्तमान में मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति का केवल एक-तिहाई हिस्सा ही वसीयत कर सकता है, और शेष संपत्ति के लिए कानूनी वारिसों की सहमति आवश्यक है.

धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल

केरल की वकील शेहीन पुलिक्कल वीत्तील, जो अबू धाबी में प्रैक्टिस करती हैं, ने अपनी याचिका में दावा किया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ का यह प्रावधान पवित्र कुरान के सिद्धांतों के विपरीत है. कुरान मुसलमानों को वसीयत की अनुमति देता है, लेकिन भारत में लागू पर्सनल लॉ इसे सीमित करता है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (भेदभाव से सुरक्षा), अनुच्छेद 21 (सम्मानजनक जीवन का अधिकार), और अनुच्छेद 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है. 

बेटियों को समान अधिकार की मांग

याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि आधुनिक युग में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत एक पिता अपनी बेटियों और बेटों को समान रूप से संपत्ति नहीं दे सकता. यह प्रावधान व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा को बाधित करता है और सामाजिक बदलावों के अनुरूप नहीं है. याचिकाकर्ता ने इस नियम को असंवैधानिक करार देने की मांग की है.

सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई

जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस ए.एस. चंदुरकर की पीठ ने इस याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद इसे स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले को पहले से लंबित समान याचिका के साथ जोड़कर सुनवाई की जाएगी. यह मामला मुस्लिम समुदाय के लिए संपत्ति के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर गहन चर्चा को जन्म दे सकता है.