'साइबर जागो' से लेकर 'सांझ' तक, बच्चों को साइबर सुरक्षा में योद्धा बना रही पंजाब पुलिस

 पंजाब के स्कूलों में इस समय एक ऐसा बदलाव हो रहा है जिसे न किताबें दर्ज कर पा रही हैं, न परंपरागत कक्षाएँ. यहां बच्चे सिर्फ पढ़ नहीं रहे, बल्कि डिजिटल दुनिया के खतरों को पहचानना और खुद को सुरक्षित रखना सीख रहे हैं.

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चंडीगढ़: पंजाब के स्कूलों में इस समय एक ऐसा बदलाव हो रहा है जिसे न किताबें दर्ज कर पा रही हैं, न परंपरागत कक्षाएँ. यहां बच्चे सिर्फ पढ़ नहीं रहे, बल्कि डिजिटल दुनिया के खतरों को पहचानना और खुद को सुरक्षित रखना सीख रहे हैं.

मुख्यमंत्री भगवंत मान की सोच पर आधारित पंजाब पुलिस की ‘सांझ’ और साइबर क्राइम डिवीजन की ‘साइबर जागो’ पहलों ने पुलिसिंग को शिक्षा और सामुदायिक सुरक्षा से जोड़ते हुए बच्चों के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच तैयार किया है.

साइबर जागो: बदलती पुलिसिंग का नया मॉडल

पंजाब पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन की ‘साइबर जागो’ पहल ने प्रतिक्रियात्मक पुलिसिंग की जगह निवारक शिक्षा पर केंद्रित एक नई सोच को जन्म दिया है. पहले ही चरण में 75 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है और 3,968 सरकारी हाई स्कूलों तक पहुंचने की योजना है. यह कार्यक्रम बच्चों को साइबर बुलिंग, पहचान की चोरी और ऑनलाइन ठगी जैसे खतरों को समझने और समय रहते उनसे बचने की क्षमता देता है.

बढ़ती डिजिटल पहुंच, बढ़ता खतरा

आज पंजाब में 14 से 16 वर्ष के लगभग 76% बच्चे स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. डिजिटल सामग्री की भरमार और महामारी के बाद तेज हुए ऑनलाइन समय ने बच्चों को नए जोखिमों से रूबरू करवाया है. स्पेशल डीजीपी वी. नीरजा के अनुसार, जरूरत इस बात की थी कि बच्चे केवल तकनीक का उपयोग न करें, बल्कि उसके छिपे खतरों को भी समझें और सही प्रतिक्रिया देना सीखें.

साझेदारी की नई परिभाषा

आप सरकार के शासन में ‘सांझ’ पहल पुलिस और जनता के बीच विश्वास का पुल बनकर उभरी है. इसके तहत पूरे राज्य में जिला सामुदायिक पुलिस संसाधन केंद्र, 114 उप-मंडल सुविधा केंद्र और 363 आउटरीच केंद्र काम कर रहे हैं. इन केंद्रों ने पुलिस को सिर्फ कानून प्रवर्तक नहीं, बल्कि समुदाय के मार्गदर्शक और संरक्षक के रूप में स्थापित किया है, खासकर स्कूलों में आयोजित साप्ताहिक सत्रों के ज़रिए.

संवेदनशील विषयों पर जागरूकता

शक्ति हेल्पडेस्क कार्यक्रमों के माध्यम से पंजाब पुलिस ने श्री मुक्तसर साहिब और एसबीएस नगर जैसे जिलों में स्कूलों में जागरूकता सेमिनार आयोजित किए हैं. इनमें बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श, बाल शोषण, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और हेल्पलाइन 112/1098 की जानकारी दी जाती है. इससे बच्चों में यह विश्वास पैदा हुआ है कि पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा मौजूद है.

टेक्नोलॉजी और मानव संवेदना का मेल

पंजाब पुलिस का पीपीसांझ मोबाइल ऐप नागरिकों को FIR कॉपी या सत्यापन जैसी सेवाएँ डिजिटल रूप से उपलब्ध कराता है, जबकि पुलिस अधिकारी स्कूलों में बच्चों से आमने-सामने संवाद कर रहे हैं. मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में यह मॉडल दिखाता है कि आधुनिक पुलिसिंग केवल टेक्नोलॉजी से नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनशीलता और समुदाय से जुड़कर ही प्रभावी बनती है.

बच्चों में जागरूकता से उपजा आत्मविश्वास

जब कोई किशोर ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में सीखकर परिवार को बचत सलाह देता है, तो यह पहल की वास्तविक सफलता दिखाता है. जब लड़की अपने डिजिटल अधिकारों को समझकर अपने साथियों की सुरक्षा की आवाज़ बनती है, तब यह मुहिम एक सामाजिक आंदोलन बन जाती है. मान सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है. एक ऐसी पीढ़ी तैयार करना जो डिजिटल रूप से समझदार, सामाजिक रूप से जागरूक और अपने अधिकारों व सुरक्षा को लेकर आत्मविश्वासी हो.