पटना: बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद राज्य की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बेहद उत्साहित हैं. शनिवार को उनकी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर उन्हें जीत की बधाई दी. इसी मुलाकात के बाद चिराग पासवान ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी नई सरकार में शामिल होने की इच्छुक है और वह व्यक्तिगत तौर पर यह मानते हैं कि आने वाले कार्यकाल में भी नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए.
नीतीश सरकार में शामिल होने की इच्छा जताई
चिराग पासवान ने कहा कि एलजेपी (रामविलास) अब सिर्फ समर्थन देने वाली पार्टी नहीं रहना चाहती, बल्कि सरकार का हिस्सा बनने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि पहले तक उनकी पार्टी विधानमंडल में प्रतिनिधित्व न होने के कारण सरकार में शामिल नहीं थी, लेकिन अब हालात बदले हैं.
विधायक तय करेंगे मुख्यमंत्री–उपमुख्यमंत्री, लेकिन…
जब उनसे पूछा गया कि अगला मुख्यमंत्री कौन होना चाहिए, तो चिराग ने साफ कहा कि यह निर्णय निर्वाचित विधायकों का होता है. हालांकि उन्होंने अपना निजी मत रखते हुए कहा, “मेरी व्यक्तिगत राय है कि नीतीश कुमार को ही सरकार का नेतृत्व जारी रखना चाहिए.” इस बयान के बाद यह संकेत और मजबूत हो गया कि एलजेपी (आरवी) जदयू नेतृत्व में चलने वाली सरकार का खुलकर समर्थन करने के लिए तैयार है.
इस चुनाव में जदयू ने 85 सीटों पर जीत दर्ज की है, जो भाजपा से चार अधिक हैं. यह दूसरा मौका है जब नीतीश कुमार की पार्टी ने अपने सहयोगी दल से बेहतर प्रदर्शन किया है. इस नतीजे ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व को और मजबूत किया है, जिसे चिराग पासवान भी खुले तौर पर स्वीकारते दिखे.
आरजेडी पर चिराग पासवान का पलटवार
अक्सर नीतीश कुमार के विरोधी के तौर पर देखे जाने वाले चिराग पासवान ने आरजेडी पर भी कड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा कि विपक्ष यह “झूठा नैरेटिव” बना रहा है कि उनकी और नीतीश कुमार की आपस में नहीं बनती. उन्होंने कहा कि 2020 का चुनाव उन्होंने एनडीए से बाहर रहकर लड़ा था, जिसका फायदा आरजेडी को मिला और वह सबसे बड़ी पार्टी बन गई. चिराग के अनुसार, “आरजेडी यह मान बैठी कि जनता ने उसी पर भरोसा जताया है और पार्टी अहंकार में डूब गई. बिहार की जनता ने 2010 में ही जंगल राज को नकार दिया था.”
कठिन सीटें मिलने के बावजूद शानदार प्रदर्शन
चिराग पासवान ने यह भी बताया कि पार्टी को शुरुआत में पूरी तरह खारिज कर दिया गया था. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि एलजेपी (आरवी) को मुश्किल सीटें दी गई हैं ताकि पार्टी खराब प्रदर्शन करे और उसकी छवि धूमिल हो. लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा और 19 सीटों पर जीत दर्ज की जो उनके लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है. उन्होंने कहा, “एग्जिट पोल लगातार कह रहे थे कि हम एकल अंक में सिमट जाएंगे. लेकिन जनता ने हमारे प्रति भरोसा दिखाया.”
रामविलास पासवान का उल्लेख
अपने दिवंगत पिता और एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान को याद करते हुए चिराग ने कहा कि उनकी राजनीति में वही जज़्बा है जो उनके पिता की पहचान थी. उन्होंने कहा, “मेरी रगों में वही खून बहता है जिसने 2014 में पार्टी को पुनर्जीवित किया था. कठिन समय में भी हमने हार नहीं मानी.” उन्होंने याद दिलाया कि 2009 में लोजपा एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी, लेकिन 2014 में एनडीए के साथ आकर पार्टी ने शानदार वापसी की और छह सीटों पर जीत मिली.
चुनाव में आशा से कहीं बेहतर प्रदर्शन के बाद अब यह साफ है कि एलजेपी (रामविलास) अगली बिहार सरकार में उल्लेखनीय भूमिका निभाना चाहती है. चिराग पासवान के ताजा बयान ने बिहार की सत्ता की राजनीति में नए समीकरणों के संकेत दे दिए हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि जदयू और एनडीए के गठबंधन में एलजेपी (आरवी) को मंत्रिमंडल में कितना और कैसा प्रतिनिधित्व मिलता है.