Debit Card EMI: आज के डिजिटल युग में खरीदारी के तरीके तेज़ी से बदल रहे हैं. पहले जहां EMI (किस्तों) की सुविधा सिर्फ क्रेडिट कार्ड धारकों तक सीमित थी, वहीं अब लगभग सभी प्रमुख बैंक जैसे HDFC, SBI, Axis Bank और ICICI Bank अपने ग्राहकों को डेबिट कार्ड EMI की सुविधा दे रहे हैं. यानी अब बिना क्रेडिट कार्ड के भी आप महंगे मोबाइल, टीवी, लैपटॉप या दूसरे गैजेट्स आसानी से किस्तों पर खरीद सकते हैं.
यह सुविधा उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जिनके पास क्रेडिट कार्ड नहीं है या जो क्रेडिट कार्ड रखना नहीं चाहते. लेकिन, सुविधा के साथ एक बड़ा खतरा भी छिपा है. अगर सावधानी नहीं बरती तो यह EMI आपके CIBIL स्कोर और वित्तीय साख पर बुरा असर डाल सकती है.
कैसे मिलती है डेबिट कार्ड EMI की सुविधा
डेबिट कार्ड EMI एक प्री-अप्रूव्ड (पूर्व-अनुमोदित) सुविधा होती है. बैंक अपने ग्राहक के सेविंग्स अकाउंट बैलेंस, ट्रांजैक्शन हिस्ट्री और बैंकिंग रिलेशनशिप के आधार पर एक लिमिट तय करता है. यह लिमिट आमतौर पर ₹5,000 से लेकर ₹1 लाख या उससे अधिक तक हो सकती है.
खरीदारी के समय, पेमेंट गेटवे पर EMI का विकल्प दिखता है, जहां ग्राहक 3, 6, 9 या 12 महीने की अवधि चुन सकता है. इसके बाद हर महीने तय तारीख पर EMI की राशि सीधे खाते से ऑटो-डेबिट हो जाती है.
क्या यह CIBIL स्कोर को प्रभावित करती है?
यहां सबसे बड़ा सवाल यही है. आमतौर पर, डेबिट कार्ड EMI का आपके क्रेडिट स्कोर पर सीधा असर नहीं पड़ता, क्योंकि यह पारंपरिक “क्रेडिट लाइन” नहीं मानी जाती. लेकिन कुछ बैंक इस EMI को “शॉर्ट-टर्म कंज्यूमर लोन” की तरह ट्रीट करते हैं और इसकी जानकारी CIBIL, Experian या Equifax जैसे क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट करते हैं. यदि आपका बैंक इस EMI को रिपोर्ट करता है, तो यह आपके लिए दोनों तरह का असर डाल सकता है. फायदेमंद भी और नुकसानदायक भी.
समय पर भुगतान से बन सकता है ‘गोल्डन रिकॉर्ड’
अगर आप हर किस्त का भुगतान समय पर करते हैं, तो यह आपके क्रेडिट प्रोफाइल में एक सकारात्मक रिकॉर्ड के रूप में जुड़ता है. इससे आपकी क्रेडिट हिस्ट्री मजबूत होती है और भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड की मंजूरी आसान हो जाती है. यह EMI उन लोगों के लिए एक गोल्डन चांस साबित हो सकती है जो अपना CIBIL स्कोर सुधारना चाहते हैं.
एक गलती से हो सकता है बड़ा नुकसान
लेकिन, अगर किसी महीने आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं है और EMI कट नहीं पाती, तो यह ‘मिस्ड पेमेंट’ या ‘लेट पेमेंट’ के रूप में दर्ज होती है. इसका असर बेहद गंभीर हो सकता है. आपका CIBIL स्कोर तेजी से गिर सकता है और रिपोर्ट में एक ‘रेड फ्लैग’ लग सकता है. इतना ही नहीं, अगर बैंक आपकी EMI को क्रेडिट ब्यूरो में रिपोर्ट नहीं भी करता, तो भी पेनल्टी चार्ज, इंटरनल डिफॉल्टर रेटिंग और भविष्य के लोन रिजेक्शन जैसे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
डेबिट कार्ड EMI लेना सुविधाजनक है, लेकिन इसे अपनाने से पहले यह समझना ज़रूरी है कि यह आपके वित्तीय अनुशासन पर पूरी तरह निर्भर करती है. यदि आप हर भुगतान समय पर करते हैं, तो यह सुविधा आपके क्रेडिट स्कोर के लिए फायदेमंद है. लेकिन एक भी गलती आपकी वित्तीय साख को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए, EMI चुनने से पहले अपने खाते का बैलेंस और पेमेंट शेड्यूल दोनों पर नज़र रखना बेहद ज़रूरी है.