31 दिसंबर को नहीं मिलेगा ऑनलाइन डिलीवरी? गिग वर्कर्स ने किया ऐलान

देश भर में गिग इकोनॉमी के लाखों डिलीवरी वर्कर्स ने 31 दिसंबर 2025 को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है. जिससे लोगों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

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Courtesy: X (@arohishukl50402)

देश भर में गिग इकोनॉमी के लाखों डिलीवरी वर्कर्स ने 31 दिसंबर 2025 को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है, जिससे नए साल की पूर्व संध्या पर फूड डिलीवरी और ऑनलाइन शॉपिंग सेवाओं में भारी व्यवधान आ सकता है. इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) और तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन जैसे राज्य स्तरीय संगठनों ने मिलकर इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया है. 

मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के अलावा टियर-2 शहरों में भी हजारों वर्कर्स इस हड़ताल में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं. यह कदम गिग वर्कर्स की बढ़ती असंतोष को दर्शाता है, जो लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं.

हड़ताल के पीछे क्या है वजह?

डिलीवरी वर्कर्स ने प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स जैसे अमेजन, जोमैटो, स्विगी, जेप्टो, ब्लिंकिट और फ्लिपकार्ट के खिलाफ मोर्चा खोला है. उनका कहना है कि ऐप-आधारित एल्गोरिदम डिलीवरी टारगेट्स को इतना सख्त बनाते हैं कि वर्कर्स को भारी ट्रैफिक, प्रदूषण और मौसम की मार झेलते हुए तेज रफ्तार से दोपहिया वाहन चलाने पड़ते हैं. इससे उनके स्वास्थ्य और जीवन दोनों पर खतरा मंडराता है. कम सैलरी और अनियमित आय भी एक बड़ा मुद्दा है, जहां वर्कर्स को प्रति डिलीवरी पर न्यूनतम भुगतान नहीं मिलता. 

यूनियनों का कहना है कि ये कंपनियां मुनाफे की होड़ में वर्कर्स का शोषण कर रही हैं, जबकि वे बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के काम कर रहे हैं. इस हड़ताल के माध्यम से वे उचित वेतन, सुरक्षित कार्य वातावरण और स्वास्थ्य बीमा जैसी मांगों पर जोर दे रहे हैं.

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े?

नीति आयोग की जून 2022 की रिपोर्ट 'इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी' के मुताबिक, 2020-21 में भारत में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की संख्या करीब 7.7 मिलियन थी, जो 2029-30 तक बढ़कर 23.5 मिलियन होने का अनुमान है. यूनियनों ने सरकार से मांग की है कि सेक्टर-वाइज और प्लेटफॉर्म-वाइज एक एकीकृत डेटाबेस तैयार किया जाए, ताकि इन वर्कर्स को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जा सके. बिना ऐसे कदमों के, गिग इकोनॉमी का विकास असंतुलित रहेगा.

उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था पर असर

31 दिसंबर को हड़ताल से नए साल की पार्टीयों और शॉपिंग में खलल पड़ सकता है. लाखों लोग फूड ऐप्स पर निर्भर रहते हैं और इस दिन डिमांड चरम पर होती है. अगर डिलीवरी सेवाएं ठप हुईं, तो रेस्तरां, सुपरमार्केट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को करोड़ों का नुकसान हो सकता है. मेट्रो शहरों में जहां ट्रैफिक पहले से चुनौतीपूर्ण है, वहां वैकल्पिक व्यवस्थाएं मुश्किल होंगी.