Mock Drill 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए, केंद्र सरकार ने सीमावर्ती राज्यों में सतर्कता बढ़ाने के लिए 29 मई की शाम को मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला किया है. यह अभ्यास जम्मू-कश्मीर, गुजरात, पंजाब और राजस्थान में होगा, जहां नागरिकों को युद्ध जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.
लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है, और प्रशासनिक स्तर पर ब्लैकआउट, मॉल खाली करने और अन्य सुरक्षा उपायों की जांच की जाएगी. यह ड्रिल भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने का हिस्सा है.
मॉक ड्रिल का महत्व
मॉक ड्रिल एक नकली अभ्यास है, जो वास्तविक आपात स्थिति का अनुकरण करता है. इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों और संगठनों की कमजोरियों को पहचानना और उनकी सुरक्षा क्षमता को बढ़ाना है. इस अभ्यास के दौरान, युद्ध जैसी परिस्थितियों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने, सायरन सिस्टम का पालन करने और आतंकी खतरों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी. यह ड्रिल नागरिकों को आपातकाल में शांत रहकर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार करती है.
ब्लैकआउट और सुरक्षा उपाय
युद्ध के समय ब्लैकआउट एक महत्वपूर्ण रणनीति है, जिसका उद्देश्य दुश्मन की निगरानी से महत्वपूर्ण ढांचों और नागरिक क्षेत्रों को छिपाना है. इसके तहत सड़कें, घर, और सार्वजनिक स्थानों की लाइटें बंद की जाती हैं.
खिड़कियों पर काले पर्दे या ढाल लगाकर प्रकाश को बाहर निकलने से रोका जाता है, ताकि शहर हवाई निगरानी में अंधेरा दिखे. मॉक ड्रिल में इन उपायों का अभ्यास होगा, ताकि नागरिक तैयार रहें.
ऑपरेशन सिंदूर और पूर्व मॉक ड्रिल
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसके पहले देशभर में मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी. यह अभ्यास 1971 के बाद सबसे बड़ा था, जिसमें 244 जिलों में सिविल डिफेंस की तैयारियां परखी गई थीं.