Gaganyaan Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख वी. नारायणन ने 21 अगस्त को घोषणा की कि गगनयान मिशन का पहला परीक्षण दिसंबर 2025 में होगा. यह भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे. इस दौरान पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बी. नायर ने मीडिया से बात की.
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में रहना प्रशिक्षण से अलग है. वहां से मिला ज्ञान अनमोल है. पिछले एक साल में उन्होंने जो सीखा, वह गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उपयोगी होगा. शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष में मानव शरीर कई बदलावों से गुजरता है. 20 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद शरीर गुरुत्वाकर्षण को भूल जाता है. यह अनुभव भारत के मिशनों को मजबूती देगा.
शुभांशु शुक्ला ने कहा कि जल्द ही भारत अपने रॉकेट और कैप्सूल से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेगा. यह भारत के लिए गर्व का पल होगा. गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री अपनी मातृभूमि से अंतरिक्ष की सैर करेंगे. इसरो की तकनीक और मेहनत इस मिशन को सफल बनाएगी. यह कदम भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बनाएगा.
इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने संगठन की अन्य परियोजनाओं पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 30 जुलाई को GSLV-F16 रॉकेट ने NASA-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह उपग्रह नासा और इसरो का संयुक्त प्रयास है और पूरी तरह काम कर रहा है. नारायणन ने यह भी कहा कि अगले दो-तीन महीनों में इसरो अमेरिका के लिए 6500 किलोग्राम का संचार उपग्रह लॉन्च करेगा. यह इसरो की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है. गगनयान मिशन के साथ-साथ इसरो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भी काम कर रहा है. यह भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा. इसरो की योजनाएँ भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर और मजबूत करेंगी. गगनयान मिशन का पहला परीक्षण इस दिशा में बड़ा कदम है.