BMC Election 2025: मुंबई नगर निगम चुनाव (BMC Election 2025) से ठीक पहले महाराष्ट्र की राजनीति में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं. महाविकास अघाड़ी (MVA) का पुराना समीकरण अब बिखरने की कगार पर है. कांग्रेस ने औपचारिक रूप से साफ कर दिया है कि वह आगामी निकाय चुनाव अपने दम पर अकेले लड़ेगी. यह फैसला ऐसे वक्त में सामने आया है जब ठाकरे परिवार उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच बढ़ती नजदीकियों से कांग्रेस भीतर ही भीतर नाखुश दिखाई दे रही है. पार्टी की नाराजगी का केंद्र खासतौर पर राज ठाकरे हैं, जिनके साथ जाने को लेकर कांग्रेस पहले ही अपने तेवर साफ कर चुकी है.
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. बुधवार, 19 नवंबर की सुबह एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने पूरे राजनीतिक माहौल में हलचल तेज कर दी. मुंबई कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने उनके आवास सिल्वर ओक पहुंचा. वर्षा गायकवाड़, अमीन पटेल, असलम शेख और ज्योति गायकवाड़ इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. यह मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है, जब विपक्षी दलों के बीच तालमेल और सीटों की साझेदारी को लेकर स्थिति बेहद उलझी हुई है.
क्या कांग्रेस ‘दो मोर्चों’ की रणनीति अपना रही है?
राजनीतिक जानकार इस मुलाकात को कई कोणों से देख रहे हैं. पहला और सबसे प्रमुख एंगल यह है कि कांग्रेस चाहती है कि शरद पवार और उद्धव-राज ठाकरे के बीच किसी भी तरह का गठबंधन मजबूत न हो. कांग्रेस की कोशिश है कि एनसीपी का एक हिस्सा उसके साथ चुनावी तालमेल में रहे, ताकि भाजपा के खिलाफ विपक्षी वोटों का बिखराव न बढ़े.
इसी के चलते यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि कांग्रेस चाहती है कि शरद पवार उद्धव ठाकरे से दूरी बनाएं और स्थानीय निकाय स्तर पर सीटों का साझा फार्मूला कांग्रेस के साथ तैयार करें. कांग्रेस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एमवीए में उसकी भूमिका कमजोर न पड़े और ठाकरे भाइयों की नजदीकी से गठबंधन की बागडोर पूरी तरह उनके हाथों में न चली जाए.
क्या कांग्रेस ‘अकेले लड़ने’ के फैसले को बदलेगी?
बड़ा सवाल यह है कि जब कांग्रेस पहले ही घोषित कर चुकी है कि वह सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी, तो फिर यह मुलाकात किस संकेत की ओर इशारा करती है? क्या कांग्रेस अपने स्टैंड में लचीलापन दिखा सकती है? राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस ‘फॉर्मल गठबंधन’ नहीं, बल्कि ‘सीट अडजस्टमेंट’ के विकल्प पर विचार कर सकती है. यानी नाम गठबंधन का न हो, पर कुछ सीटों पर तालमेल हो सकता है.
क्या शरद पवार भी छोड़ देंगे उद्धव ठाकरे का साथ?
इस मुलाकात से एक और बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है. क्या एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी राजनीतिक परिस्थितियों के दबाव में ठाकरे परिवार से दूरी बना सकते हैं? फिलहाल इसकी संभावना कम दिखती है, लेकिन कांग्रेस के लगातार बढ़ते प्रयास यह संकेत जरूर दे रहे हैं कि विपक्षी खेमे में नई लाइनें खिंच सकती हैं. हालांकि, अब तक न तो उद्धव-राज ठाकरे और न ही शरद पवार या कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने गठबंधन की स्थिति पर कोई बयान दिया है. यही वजह है कि महाराष्ट्र में विपक्षी राजनीति इस समय पूर्णतः ‘कन्फ्यूजन मोड’ में है.