Manoj Sinha: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को और सख्त करते हुए तीन सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है. इन कर्मचारियों पर प्रतिबंधित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन से संबंध रखने का गंभीर आरोप था.
यह कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत की गई, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में बिना औपचारिक जांच के बर्खास्तगी की अनुमति देता है.
ये है बर्खास्त कर्मचारियों की पहचान
मलिक इश्फाक नसीर: जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल, जो आतंकियों को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति में शामिल था. उसका भाई, एक प्रशिक्षित आतंकी, 2018 में मारा गया था.
अजाज अहमद: शिक्षा विभाग में शिक्षक, जिसे नवंबर 2023 में हथियारों और हिज्बुल के प्रचार सामग्री के साथ पकड़ा गया.
वसीम अहमद खान: श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट, जो पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या से जुड़े आतंकी साजिश में शामिल था.
आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और इसके समर्थकों के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी. यह कार्रवाई उनके नेतृत्व में चल रहे व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत अब तक 75 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण बर्खास्त किया जा चुका है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं. इन कर्मचारियों की बर्खास्तगी से यह संदेश स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.