उत्तरकाशी में आई बाढ़ ने मचाई तबाही, 5 की मौत और सैकड़ों लापता

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली और हर्षिल का हवाई सर्वेक्षण किया. उन्होंने घायल सैनिकों और लापता लोगों के परिजनों से मुलाकात भी की है. धामी ने कहा कि हर जीवन हमारे लिए कीमती है. 

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Courtesy: Social Media

Uttarkashi Flash Floods: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गुरुवार को बादल फटने से भारी तबाही मची. धराली और सुखी टॉप क्षेत्र में फंटे बादल की वजह से कई जिंदगियां छीन गई. खीर गंगा नदी में अचानक आए बाढ़ ने कई घर, होटल और बाजार को मलबे में बदल दिया. हालांकि अभी तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, वहीं सैकड़ों लोग लापता हैं.

प्रभावित इलाकों में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें दिन-रात बचाव कार्य में जुटी हैं. अब तक सैकड़ों लोगों को बाहर निकाला जा चुका है. एनडीआरएफ के अधिकारी ने बताया कि खराब मौसम और मलबे से भरे रास्तों ने बचाव कार्य की मुश्किलें बढ़ाई हैं. सेना के 11 जवान भी अभी लापता हैं.

28 पर्यटकों का पूरा ग्रुप लापता 

इस हादसे में 28 पर्यटकों का एक ग्रुप लापता है. इनमें से 20 महाराष्ट्र में रहते हैं, लेकिन मूल रूप से केरल के है. उन्ही के एक रिश्तेदार ने बताया कि आखिरी बार उनसे सुबह 8:30 बजे बात की गई थी . वे उत्तरकाशी से गंगोत्री जा रहे थे. मोबाइल नेटवर्क न होने और बैटरी खत्म होने से संपर्क टूट गया. इसके बाद से परिवारवाले चिंतित हैं.

सीएम धामी ने किया हवाई सर्वेक्षण

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली और हर्षिल का हवाई सर्वेक्षण किया. उन्होंने घायल सैनिकों और लापता लोगों के परिजनों से मुलाकात भी की है. धामी ने कहा कि हर जीवन हमारे लिए कीमती है. उन्होंने राहत कार्यों के लिए 160 पुलिसकर्मियों और तीन नोडल अधिकारियों को तैनात किया. भोजन और दवाओं की व्यवस्था की गई है.

बचाव कार्य में जुटी टीम 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड को हर संभव मदद का भरोसा दिया. शाह ने मुख्यमंत्री धामी और सांसदों से बात की. केंद्र ने एनडीआरएफ और आईटीबीपी की अतिरिक्त टीमें भेजी हैं. उत्तराखंड के सांसदों ने संसद में मदद की मांग की. मौसम विभाग अभी भी अलर्ट पर है. लगातार बारिश से बचाव कार्य और मुश्किल हो रहा है.

सड़कों पर मलबा जमा होने से कई टीमें रास्ते में फंसी हैं. उत्तरकाशी की यह त्रासदी 2013 की केदारनाथ आपदा की याद दिलाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित निर्माण इसकी वजह हैं. सरकार को राहत के साथ-साथ ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.