भारत के चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए देशभर में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR 2.0) की शुरुआत कर दी है. बिहार में इस प्रक्रिया के सफल संचालन के बाद अब यह पहल 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में भी लागू की जा रही है. आयोग का उद्देश्य है कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट में मौजूद त्रुटियों को दूर किया जाए और योग्य मतदाताओं के नाम जोड़े जाएं.
यह प्रक्रिया 4 नवंबर 2025 से शुरू होकर 7 फरवरी 2026 तक चलेगी. अंतिम मतदाता सूची इसी दिन प्रकाशित की जाएगी. इससे पहले, 28 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 के बीच BLOs (बूथ लेवल अधिकारी) और संबंधित कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे घर-घर जाकर जानकारी सत्यापित कर सकें और वोटर लिस्ट में सुधार कर सकें.
किन राज्यों में चलेगा SIR 2.0 अभियान
चुनाव आयोग ने इस विशेष अभियान के तहत जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया है, उनमें शामिल हैं —
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, गोवा, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप.
इस बड़े अभियान में 5 लाख से अधिक बूथ लेवल अधिकारी और लगभग साढ़े सात लाख राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकर्ता सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. आयोग का कहना है कि यह देश में अब तक की सबसे व्यापक मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया होगी.
कैसे पता करें कि आपका नाम वोटर लिस्ट में है या नहीं?
अगर आप बिहार या किसी अन्य राज्य के मतदाता हैं और यह जानना चाहते हैं कि आपका नाम सूची में है या नहीं, तो इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से जांचा जा सकता है.
ऑनलाइन तरीका:
ऑफलाइन तरीका:
यदि आपके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, तो आप अपने BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) से संपर्क कर सकते हैं या नजदीकी निर्वाचन कार्यालय जाकर ड्राफ्ट मतदाता सूची देख सकते हैं.
अगर नाम कट गया है तो क्या करें?
विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान अगर आपका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि गलती से हटे नामों को दोबारा जोड़ा जा सकता है.
इसके लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच आवेदन करना होगा. प्रक्रिया के दो विकल्प हैं — ऑनलाइन और ऑफलाइन.
1. ऑनलाइन प्रक्रिया:
2. ऑफलाइन प्रक्रिया:
बिहार के अनुभव से सीखे गए सबक और किए गए बदलाव
बिहार में जब SIR प्रक्रिया चलाई गई थी, तब दस्तावेजों को लेकर कई विवाद हुए थे. खासकर आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार न किए जाने पर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.
कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने अब आधार कार्ड को आधिकारिक पहचान दस्तावेज के रूप में शामिल कर लिया है. अब मतदाता अपना आधार कार्ड देकर भी अपनी पहचान प्रमाणित कर सकते हैं.
इसके अलावा, बिहार में यह प्रक्रिया लगभग ढाई महीने में पूरी हुई थी, लेकिन इस बार इसे तीन महीने से अधिक का समय दिया गया है. आयोग का मानना है कि अधिक समय मिलने से सत्यापन और जांच की गुणवत्ता बेहतर होगी तथा गलतियों की संभावना घटेगी.
दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया बनी आसान
बिहार में SIR के दौरान उन सभी लोगों से दस्तावेज मांगे गए थे, जिनके नाम 2003 के बाद मतदाता सूची में जोड़े गए थे. इससे ग्रामीण और गरीब तबके के लोगों को काफी परेशानी हुई थी.
अब नई प्रक्रिया में यह नियम सरल किया गया है. यदि किसी व्यक्ति के परिवार के किसी सदस्य का नाम पहले से अंतिम सूची में मौजूद है, तो नया नाम जोड़ने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी. इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लाखों लोगों को राहत मिलेगी.
राज्य बदलने वालों को भी मिली राहत
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, जो लोग एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर बस गए हैं. जैसे प्रवासी मजदूर, छात्र या नौकरीपेशा लोग उन्हें अब अपने पुराने राज्य या रिश्तेदारों से प्रमाण-पत्र जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी.
पहले यह साबित करना पड़ता था कि व्यक्ति का मूल निवास किसी अन्य राज्य में है. अब इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है, जिससे प्रवासी नागरिकों को बड़ी सुविधा मिलेगी और वे आसानी से अपने नए क्षेत्र की वोटर लिस्ट में नाम जुड़वा सकेंगे.
क्यों जरूरी है यह प्रक्रिया
वोटर लिस्ट की शुद्धता को लोकतंत्र की सबसे अहम नींव माना जाता है. गलत नामों का हटना और सही नागरिकों का शामिल होना यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और विवाद-मुक्त हों. चुनाव आयोग का कहना है कि SIR 2.0 न केवल त्रुटियों को दूर करेगा, बल्कि यह एक “विश्वसनीय मतदाता सूची” तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम है, जिससे हर नागरिक को मतदान का समान अवसर मिलेगा.
SIR 2.0 सिर्फ एक प्रशासनिक कवायद नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की विश्वसनीयता को मजबूत करने वाला अभियान है. इसमें नागरिकों की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि आयोग की. अगर आपने अभी तक अपनी जानकारी की जांच नहीं की है, तो जल्द करें. क्योंकि सही मतदाता सूची ही सही लोकतंत्र की पहचान है.