भारत में फैटी लिवर का बढ़ता खतरा! आईटी सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हाल ही में संसद में बताया कि सरकार ने सभी राज्यों को फैटी लिवर की जांच और पहचान के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है.

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Fatty Liver: देश में मेटाबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड फैटी लिवर डिजीज (MAFLD), जिसे पहले नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के नाम से जाना जाता था, के मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है.

यह बीमारी लिवर में अतिरिक्त वसा के जमाव के कारण होती है और मोटापे, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी होती है. यह समस्या विशेष रूप से आईटी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों में चिंताजनक स्तर तक पहुँच गई है. केंद्र सरकार ने इस खतरे से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं.

सरकार का एक्शन प्लान

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हाल ही में संसद में बताया कि सरकार ने सभी राज्यों को फैटी लिवर की जांच और पहचान के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है.

राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, वजन नियंत्रण, और चीनी व वसा युक्त भोजन से परहेज जैसे उपायों पर जोर दिया गया है. राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि डॉक्टर इन गाइडलाइंस के अनुसार जांच करें और मरीजों को समय पर उचित उपचार उपलब्ध कराएं.

शोध के चौंकाने वाले निष्कर्ष

हाल के शोधों ने फैटी लिवर की गंभीरता को उजागर किया है. 2025 में Nature Scientific Reports Journal में प्रकाशित एक अध्ययन में हैदराबाद के 345 आईटी कर्मचारियों पर शोध किया गया. इस अध्ययन में पाया गया कि 34% कर्मचारियों को मेटाबॉलिक सिंड्रोम था, जबकि 84% के लिवर में वसा जमा थी.

यह आंकड़ा दर्शाता है कि आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोग इस बीमारी के लिए विशेष रूप से संवेदनशील हैं. दूसरी ओर, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक अध्ययन में राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में 37% लोगों में फैटी लिवर की समस्या पाई गई. पुरुषों में यह जोखिम अधिक था, और जो लोग नियमित रूप से फास्ट फूड का सेवन करते थे, उनमें यह खतरा और भी बढ़ा हुआ था.

सरकारी प्रयास और जागरूकता अभियान

स्वास्थ्य मंत्रालय आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है, ताकि डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, और कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सके. इसके अलावा, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) सोशल मीडिया के जरिए लोगों को लिवर स्वास्थ्य के बारे में जागरूक कर रहा है. फिट इंडिया मूवमेंट और योग से संबंधित पहलें भी खेल मंत्रालय और आयुष मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही हैं.

सावधानी क्यों जरूरी?

चिकित्सकों का कहना है कि अगर फैटी लिवर को समय पर नियंत्रित न किया जाए, तो यह लिवर फेल्योर, डायबिटीज, और हृदय रोग जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है. स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच इस बीमारी से बचाव के लिए अहम हैं.