Sher Bahadur Deuba: नेपाल की राजनीति में जेनरेशन-ज़ी आंदोलन का असर अब साफ दिखने लगा है. देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी नेपाल कांग्रेस में बड़ा बदलाव हुआ है. पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने सक्रिय राजनीति से लंबा ब्रेक लेने का ऐलान किया है. उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्ण बहादुर खड़गा को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. अब पार्टी के तमाम बड़े फैसले खड़गा के नेतृत्व में होंगे.
जेन-ज़ी आंदोलन से उपजा दबाव
पिछले कुछ हफ्तों से नेपाल में युवाओं का “जेन-ज़ी आंदोलन” तेजी से उभरा है. यह आंदोलन देश की पारंपरिक राजनीति और बुजुर्ग नेतृत्व के खिलाफ युवाओं के असंतोष का प्रतीक बन गया है. आंदोलन के दबाव के बाद ही देउबा ने मंगलवार (14 अक्टूबर) को अपनी पत्नी के साथ कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर बड़ा ऐलान किया. उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही पार्टी का महाअधिवेशन बुलाया जाएगा, जिसमें नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाएगा.
पांच बार नेपाल के प्रधानमंत्री रहे हैं देउबा
पत्रकारों से बातचीत में देउबा ने कहा, “किसी भी घराने में एक ही मुखिया हमेशा नहीं होता. पार्टी में भी ऐसा नहीं होना चाहिए. अब समय है कि नई पीढ़ी को अवसर दिया जाए. मैं महाअधिवेशन बुलाकर अध्यक्ष पद किसी और को सौंप दूंगा.” देउबा ने यह भी कहा कि वह अब कुछ समय के लिए “राजनीति से विश्राम” लेना चाहते हैं.
78 वर्षीय शेर बहादुर देउबा नेपाल की राजनीति में सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं. वे अब तक पांच बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. अपने लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने कई संकटों के दौर में कांग्रेस को संभाला और सत्ता तक पहुंचाया. लेकिन हाल के महीनों में पार्टी के भीतर उनकी उम्र और नेतृत्व शैली को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे.
खड़गा और थापा में अध्यक्ष पद की जंग
देउबा के राजनीति से अलग होने के बाद अब कांग्रेस में नई नेतृत्व रेखा खिंच गई है. उनकी पहली पसंद पूर्ण बहादुर खड़गा हैं, जो पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री रह चुके हैं. फिलहाल वे कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
हालांकि, महासचिव गगन थापा भी अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. थापा को शेखर कोइराला गुट का समर्थन हासिल है और वे जेन-ज़ी आंदोलन में खुलकर युवाओं के पक्ष में बोले थे. इसके अलावा कृष्ण प्रसाद सितौला और विमलेंद्र निधि जैसे नेता भी इस दौड़ में हैं.
नेपाल में फरवरी 2026 में आम चुनाव प्रस्तावित हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी में यह बदलाव आगामी राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि देउबा के पीछे हटने से कांग्रेस में युवा नेतृत्व के उभरने की संभावना और बढ़ गई है.