'आपका टोल बकाया है…', एक मैसेज से कैसे चीन के साइबर अपराधियों ने अमेरिका में मचाई तबाही

China cybercrime: अमेरिका में साइबर अपराधियों ने अब ठगी का नया तरीका खोज लिया है. एक साधारण-सा मैसेज, जो दिखने में बिल्कुल वैध लगता है. आपका टोल बकाया है, कृपया तुरंत भुगतान करें. लेकिन इस एक क्लिक के बाद लाखों लोगों के बैंक खाते मिनटों में खाली हो रहे हैं.

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China cybercrime: अमेरिका में साइबर अपराधियों ने अब ठगी का नया तरीका खोज लिया है. एक साधारण-सा मैसेज, जो दिखने में बिल्कुल वैध लगता है. आपका टोल बकाया है, कृपया तुरंत भुगतान करें. लेकिन इस एक क्लिक के बाद लाखों लोगों के बैंक खाते मिनटों में खाली हो रहे हैं.

वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्ट के अनुसार, यह साइबर ठगी चीन से संचालित अपराधी गिरोहों द्वारा की जा रही है. पिछले तीन वर्षों में इन गिरोहों ने अमेरिकी नागरिकों से करीब 1 अरब डॉलर (लगभग ₹8,900 करोड़) की ठगी कर ली है. सितंबर 2025 में सिर्फ एक दिन में 3.3 लाख फर्जी टोल मैसेज भेजे गए जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है.

कैसे होती है ठगी की शुरुआत

अपराधियों की रणनीति बेहद चतुराई भरी होती है. वे किसी भी अमेरिकी को एक ऐसा टेक्स्ट मैसेज भेजते हैं जो देखने में सरकारी विभाग का प्रतीत होता है कभी हाईवे टोल टैक्स, कभी पोस्ट ऑफिस फीस या ट्रैफिक चालान के नाम पर.

लिंक पर क्लिक करते ही उपयोगकर्ता को एक फर्जी वेबसाइट पर ले जाया जाता है, जो असली सरकारी साइट जैसी दिखती है. जैसे ही व्यक्ति अपना नाम, कार्ड नंबर या ओटीपी दर्ज करता है, सारी जानकारी अपराधियों के सर्वर तक पहुंच जाती है. कुछ ही मिनटों में उसके बैंक खाते से पैसे उड़ जाते हैं.

SIM फार्म्स का हाई-टेक नेटवर्क

इस ठगी की असली ताकत हैं SIM फार्म्स ऐसी जगहें जहां सैकड़ों सिम कार्ड एक साथ लगाए जाते हैं. इनका इस्तेमाल एक व्यक्ति हजारों नंबरों से एक साथ संदेश भेजने में करता है. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ये SIM फार्म्स चीन में बैठे गिरोहों द्वारा रिमोटली नियंत्रित किए जाते हैं, लेकिन इन्हें अमेरिका के स्थानीय गिग वर्कर्स चलाते हैं. ह्यूस्टन, लॉस एंजेलिस, फीनिक्स और मियामी जैसे शहरों में ऐसे दर्जनों SIM फार्म्स का खुलासा हो चुका है.

डिजिटल वॉलेट्स और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क

अपराधी चोरी किए गए क्रेडिट कार्ड्स को Apple Wallet और Google Pay जैसे डिजिटल वॉलेट्स में जोड़ लेते हैं. इसके बाद वे Telegram ऐप पर मौजूद अमेरिकी खरीदारों को हायर करते हैं. ये खरीदार चोरी किए कार्ड से iPhone, गिफ्ट कार्ड्स और महंगे सामान खरीदते हैं, जिन्हें बाद में चीन भेज दिया जाता है. वहां ये सामान काले बाजार में बेचा जाता है और सारा पैसा अपराधियों की जेब में चला जाता है.

अमेरिकी वर्कर्स को इस काम के बदले हर $100 की खरीद पर सिर्फ 12 सेंट (लगभग ₹10) मिलते हैं. साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, यह गिरोह अब एक संगठित हाई-टेक ठगी उद्योग में बदल चुका है. अमेरिकी एजेंसियां चीन से आने वाले डिजिटल हमलों पर लगातार निगरानी बढ़ा रही हैं, लेकिन यह ठगी इतनी सुव्यवस्थित और तेज़ है कि रोक पाना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है.