अफगानिस्तान ने ठुकराया पाकिस्तान का वीजा अनुरोध, ख्वाजा आसिफ और ISI प्रमुख को झटका, काबुल ने दिखाई कूटनीतिक सख्ती

Afghanistan Pakistan relations: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है. अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक समेत चार सदस्यीय उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को काबुल आने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है.

Date Updated
फॉलो करें:

Afghanistan Pakistan relations: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है. अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक समेत चार सदस्यीय उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को काबुल आने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है. यह मामला अब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद का रूप ले चुका है.

सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन दिनों में पाकिस्तान ने अफगान सरकार को तीन बार वीजा अनुरोध भेजा था, लेकिन इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (IEA) ने हर बार आवेदन ठुकरा दिया. डेलिगेशन में रक्षा मंत्री आसिफ, आईएसआई प्रमुख मलिक और दो वरिष्ठ जनरल शामिल थे, जिनका उद्देश्य सीमा सुरक्षा और आतंकी गतिविधियों पर वार्ता करना था.

अफगानिस्तान का कड़ा रुख

अफगानिस्तान ने इस अस्वीकृति की वजह बताते हुए कहा कि पाकिस्तान ने हाल ही में अफगान हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया और पक्तिका प्रांत में नागरिक इलाकों पर हवाई हमले किए. अफगान अधिकारियों का कहना है कि जब उनके नागरिकों पर हमले हो रहे हैं, तब किसी भी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को काबुल में बातचीत की अनुमति नहीं दी जा सकती. IEA ने यह भी स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सम्मान के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा.

तनाव की पृष्ठभूमि

पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और आतंकी गतिविधियों को लेकर संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं. अफगान सेना का दावा है कि हालिया झड़पों में पाकिस्तान के करीब 58 सैनिक मारे गए थे. इसके बाद दोनों देशों के बीच अस्थायी संघर्षविराम (सीजफायर) हुआ था, लेकिन हाल की घटनाओं ने उस समझौते को कमजोर कर दिया है.

अफगानिस्तान पर आतंकियों को शरण

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि अफगानिस्तान का यह कदम केवल एक कूटनीतिक अस्वीकृति नहीं, बल्कि पाकिस्तान को सख्त संदेश देने की कोशिश है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला अफगानिस्तान की बढ़ती आत्मनिर्भरता और क्षेत्रीय राजनीति में उसके नए आत्मविश्वास को दर्शाता है.
दिलचस्प बात यह है कि अतीत में पाकिस्तान ने कई बार अफगानिस्तान पर आतंकियों को शरण देने और सीमा पार हमलों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था, लेकिन अब हालात उलटते नजर आ रहे हैं.

अफगानिस्तान का पाकिस्तान के उच्च स्तरीय डेलिगेशन को वीजा न देना दोनों देशों के रिश्तों में एक नए मोड़ की शुरुआत हो सकती है. यह कदम न केवल कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिखाता है कि अफगानिस्तान अब पाकिस्तान के दबाव में नहीं झुकेगा. आने वाले दिनों में इस विवाद का असर दक्षिण एशिया की सुरक्षा और राजनीति पर गहरा पड़ सकता है.