तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन की ‘नो स्मोकिंग’ सलाह पर मेलोनी का मजेदार जवाब, शर्म अल-शेख सम्मेलन में छाया हल्का पल

सम्मेलन के बीच एक दिलचस्प वाकया उस समय देखने को मिला जब तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी से मज़ाकिया लहजे में कहा कि उन्हें “स्मोकिंग छोड़ देनी चाहिए.” यह टिप्पणी सुनकर पास में खड़े फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों हंस पड़े.

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Recep Tayyip Erdogan: मिस्र के मशहूर शर्म अल-शेख रिसॉर्ट में सोमवार को गाजा युद्ध को खत्म करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित किया गया. इस उच्चस्तरीय बैठक में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जर्मनी के चांसलर, कतर के अमीर, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन और जॉर्डन के शीर्ष नेता शामिल हुए. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गाजा में जारी संघर्ष को रोकना और क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में ठोस कदम उठाना था.

स्मोक-फ्री फ्यूचर

सम्मेलन के बीच एक दिलचस्प वाकया उस समय देखने को मिला जब तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी से मज़ाकिया लहजे में कहा कि उन्हें “स्मोकिंग छोड़ देनी चाहिए.” यह टिप्पणी सुनकर पास में खड़े फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों हंस पड़े. एर्दोगन अपने मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते हैं और इस मुलाकात में भी उन्होंने माहौल को हल्का कर दिया.

एर्दोगन की इस टिप्पणी पर जॉर्जिया मेलोनी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. “अगर मैंने स्मोकिंग छोड़ दी, तो शायद मैं कम सामाजिक हो जाऊंगी.” उनके इस जवाब पर वहां मौजूद अन्य नेता भी मुस्कुरा उठे. एर्दोगन ने आगे कहा कि तुर्की एक “स्मोक-फ्री फ्यूचर” यानी धूम्रपान-मुक्त भविष्य की दिशा में लगातार काम कर रहा है, और वे जहां भी जाते हैं, लोगों को सिगरेट छोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं.

भागीदारी पर जताई आपत्ति

सम्मेलन में सबसे अधिक चर्चा इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अनुपस्थिति को लेकर रही. उनके कार्यालय ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे इस बैठक में शामिल नहीं होंगे. सूत्रों के अनुसार, एर्दोगन और कुछ अन्य अरब नेताओं ने उनकी भागीदारी पर आपत्ति जताई थी.

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने ऑनलाइन संदेश भेजते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने और गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने की अपील की.

शर्म अल-शेख सम्मेलन मध्य पूर्व में चल रहे संकट के बीच एक अहम कूटनीतिक मंच के रूप में उभरा. इसमें सभी देशों ने एक स्वर में यह कहा कि गाजा में स्थायी शांति तभी संभव है जब सभी पक्ष हिंसा छोड़कर संवाद का रास्ता अपनाएं.