Indian Rupee: भारतीय रुपये की कमज़ोरी कम होने का नाम नहीं ले रही है. सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे गिरकर 88.77 पर आ गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है. लगातार विदेशी दबाव, मज़बूत डॉलर और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता रुपये पर भारी पड़ रही है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की सतर्क मॉनिटरिंग और स्थिर नीतिगत रुख के बावजूद करेंसी मार्केट में रुपये पर दबाव बना हुआ है.
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और घरेलू शेयर बाजार की गिरावट ने रुपये की कमजोरी को और बढ़ाया है. फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के हेड ऑफ ट्रेजरी एवं एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली का कहना है कि रुपये की दिशा मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर की मजबूती और वैश्विक जोखिम-परहेज़ के माहौल से तय हो रही है.
डॉलर इंडेक्स में मामूली गिरावट दर्ज
उन्होंने बताया कि हालांकि डॉलर इंडेक्स में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन यह प्रभावी राहत देने में नाकाम रही है. अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव में थोड़ी नरमी दिखी है, जिससे डॉलर इंडेक्स 0.04 प्रतिशत घटकर 98.93 पर आ गया.
फिर भी, वैश्विक अस्थिरता और भू-राजनीतिक परिस्थितियां निकट भविष्य में रुपये की चाल पर असर डालती रहेंगी. घरेलू शेयर बाजारों ने भी रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाला. सोमवार को बीएसई सेंसेक्स 451.82 अंक टूटकर 82,049 पर खुला, जबकि एनएसई निफ्टी 109.55 अंक फिसलकर 25,175.80 अंक पर पहुंच गया. निवेशकों में जोखिम लेने की इच्छा घटने से विदेशी पूंजी प्रवाह सीमित हो गया है.
क्रूड ऑयल और एफआईआई की भूमिका
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखने को मिली है. ब्रेंट क्रूड 1.50 प्रतिशत की बढ़त के साथ 63.67 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. कच्चे तेल की ऊंची कीमतें भारत जैसे आयातक देशों के लिए नकारात्मक संकेत हैं क्योंकि इससे चालू खाते का घाटा (CAD) और महंगाई पर दबाव बढ़ता है.
हालांकि, शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) शुक्रवार को शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 459.20 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. लेकिन डॉलर की मजबूती, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने रुपये को सीमित दायरे में बांध रखा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये का भाव निकट भविष्य में 88.50 से 89.00 के दायरे में रह सकता है. जब तक वैश्विक जोखिम-परहेज़ का माहौल कायम है और डॉलर मजबूत बना हुआ है, रुपये में स्थिरता की उम्मीद कम ही है.