बिहार चुनाव में NDA ने नहीं दी सीट तो ओम प्रकाश राजभर नाराज, सुभासपा अकेले लड़ेगी चुनाव

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में खींचतान के बाद अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने अलग रास्ता चुन लिया है.

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Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में खींचतान के बाद अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने अलग रास्ता चुन लिया है. एनडीए की ओर से सीट शेयरिंग के ऐलान में सुभासपा को एक भी सीट नहीं दिए जाने से नाराज होकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने अकेले चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है.

सोमवार (13 अक्तूबर) को ओम प्रकाश राजभर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सुभासपा बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 153 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. उन्होंने बताया कि आज ही पार्टी के 52 प्रत्याशी नामांकन दाखिल करेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुभासपा अब भी गठबंधन धर्म निभाने को तैयार है. राजभर ने कहा, “अगर एनडीए हमें अपने साथ रखना चाहता है तो 4-5 सीटें हमें दी जाएं, अभी भी वक्त है.”

सुभासपा को बिहार चुनाव में नहीं मिला जगह 

एनडीए की सीट शेयरिंग में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 101 सीटें, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को 101 सीटें, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) व राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को 6-6 सीटें दी गई हैं. लेकिन सुभासपा को इसमें जगह न मिलना ओम प्रकाश राजभर के लिए असंतोष का कारण बन गया है.

राजभर ने कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से बिहार में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी और उन्होंने एनडीए नेतृत्व से कई बार चर्चा की, लेकिन जब सीट बंटवारे का ऐलान हुआ तो उनका नाम सूची में शामिल नहीं था. उन्होंने कहा कि सुभासपा बिहार में पिछड़ों, वंचितों और गरीब तबके की आवाज बनकर चुनाव लड़ेगी.

पिछड़ा वर्ग निभाता है निर्णायक भूमिका

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 243 सीटों पर दो चरणों में मतदान होना है. पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को और दूसरे चरण की 11 नवंबर को होगी, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ओम प्रकाश राजभर का यह फैसला एनडीए के समीकरणों पर असर डाल सकता है, खासकर उन इलाकों में जहां पिछड़ा वर्ग निर्णायक भूमिका निभाता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि सुभासपा का यह कदम एनडीए के लिए कितना चुनौतीपूर्ण साबित होता है.