निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि देश में बढ़ती हिंसा और अराजकता न केवल आंतरिक स्थिरता को खतरे में डाल रही है, बल्कि पड़ोसी देशों, खासकर भारत के साथ संबंधों को भी अस्थिर कर रही है. ANI को दिए ईमेल साक्षात्कार में हसीना ने अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं की सुरक्षा पर चिंता जताई और यूनुस सरकार को कट्टर इस्लामी ताकतों को बढ़ावा देने का जिम्मेदार ठहराया.
पिछले सप्ताह बांग्लादेश में युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद व्यापक हिंसा भड़क उठी. 32 वर्षीय हादी, जो फरवरी 2026 के संसदीय चुनावों के लिए ढाका से उम्मीदवार थे, पर प्रचार के दौरान गोली चलाई गई थी. इस घटना ने देशभर में प्रदर्शन और तोड़फोड़ को जन्म दिया. हिंसा के दौरान 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. आरोप है कि उन्हें कथित ईशनिंदा के लिए निशाना बनाया गया. हसीना ने इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते उत्पीड़न का प्रमाण बताया.
हसीना ने कहा कि उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने वाली अराजकता यूनुस के नेतृत्व में कई गुना बढ़ गई है. अंतरिम सरकार हिंसा रोकने में पूरी तरह असमर्थ साबित हो रही है. पूर्व प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता गिर रही है, क्योंकि देश में बुनियादी कानून-व्यवस्था भी कायम नहीं है. उन्होंने जोर दिया कि भारत इस अराजकता और अल्पसंख्यक उत्पीड़न को करीब से देख रहा है, जो दोनों देशों के बीच बनी सहयोग की नींव को हिला रहा है.
हसीना ने यूनुस सरकार पर जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों पर से प्रतिबंध हटाने और चरमपंथियों को कैबिनेट में जगह देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि दोषी आतंकवादियों को जेल से रिहा किया गया और अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क से जुड़े समूहों को सार्वजनिक जीवन में भूमिका दी जा रही है. हसीना को आशंका है कि कट्टरपंथी यूनुस का इस्तेमाल कर खुद को वैश्विक मंच पर स्वीकार्य चेहरा दिखा रहे हैं, जबकि वे संस्थानों को अंदर से कट्टर बना रहे हैं. यूनुस के पास जटिल देश चलाने का राजनीतिक अनुभव न होने का हवाला देते हुए उन्होंने इसे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा बताया.
हसीना ने कहा कि बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष राजनीति उसकी सबसे बड़ी ताकत थी, जिसे कुछ चरमपंथियों की सनक पर कुर्बान नहीं होने दिया जा सकता. उन्होंने विश्वास जताया कि लोकतंत्र बहाल होने और जिम्मेदार शासन लौटने पर ऐसी लापरवाही समाप्त हो जाएगी. यह बयान ऐसे समय आया है जब बांग्लादेश आगामी चुनावों की तैयारी कर रहा है और क्षेत्रीय स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं.