अमेरिकी न्याय विभाग की वेबसाइट से जेफरी एपस्टीन से जुड़े कम से कम 16 दस्तावेज़ रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं. इनमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरें शामिल हैं. ये फाइलें शुक्रवार को जारी की गई थीं. लेकिन शनिवार सुबह तक इन्हें एक्सेस नहीं किया जा सका. इस घटना ने पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
न्याय विभाग ने एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट के तहत हजारों पन्नों के दस्तावेज़ जारी किए थे. इनमें एपस्टीन के घर से ली गई तस्वीरें थीं. एक महत्वपूर्ण फाइल नंबर 468 थी. इसमें एक डेस्क ड्रॉअर की तस्वीर थी. ड्रॉअर में कई फोटो रखे थे. इनमें ट्रंप की कम से कम दो तस्वीरें साफ दिख रही थीं. एक में ट्रंप युवा महिलाओं के साथ थे. दूसरी में उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ थे.
हाउस ओवरसाइट कमेटी के डेमोक्रेट सदस्यों ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया 'एपस्टीन फाइलों से फाइल 468 गायब कर दी गई है. इसमें डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरें हैं. अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी, क्या यह जानबूझकर किया गया? और क्या छिपाया जा रहा है?' डेमोक्रेट्स का कहना है कि अमेरिकी जनता को पारदर्शिता चाहिए. उन्होंने न्याय विभाग से तुरंत जवाब मांगा है. कमेटी ने पूछा कि फाइल 468 और अन्य दस्तावेज़ क्यों हटाए गए. क्या कोई अतिरिक्त सामग्री रोकी जा रही है?
जारी दस्तावेज़ों में हजारों पन्ने हैं. इनमें कानूनी कागजात, तस्वीरें और नोट्स हैं. पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की हॉट टब और स्विमिंग पूल में तस्वीरें हैं. माइकल जैक्सन जैसी हस्तियों के साथ एपस्टीन की फोटो भी शामिल हैं. ब्रिटेन के पूर्व प्रिंस एंड्रयू का नाम भी आया है.
हालांकि, कई दस्तावेज़ों पर तारीख नहीं है. इनसे कोई नई बड़ा खुलासा नहीं हुआ. फाइलों में नाम आने का मतलब गलत काम नहीं है. डेमोक्रेट्स का आरोप है कि सबसे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड गायब हैं. जैसे पीड़ितों के FBI इंटरव्यू और 2008 के सौदे से जुड़े मेमो.
गायब फाइल 468 की कॉपी अब इंटरनेट पर उपलब्ध है. शुरुआती रिलीज के बाद लोगों ने इसे सेव कर लिया था. लेकिन सरकारी वेबसाइट से हटाना सवाल उठा रहा है. रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पक्षों से आलोचना हो रही है. कुछ का कहना है कि रिलीज कानून का पूरी तरह पालन नहीं कर रही. यह मामला एपस्टीन के सेक्स ट्रैफिकिंग नेटवर्क से जुड़ा है. एपस्टीन कई ताकतवर लोगों से जुड़े थे. उनकी मौत के बाद से ही पारदर्शिता की मांग हो रही थी. अब यह विवाद और गहरा गया है. जनता इंतजार कर रही है कि पूरा सच कब सामने आएगा.