पंजाब की राजनीति में पहली बार कोई मुख्यमंत्री सत्ता के गलियारों से निकलकर सीधे किसानों के खेतों और मंडियों में पहुंचा है. भगवंत मान ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में खुद राहत कार्यों की निगरानी कर एक अलग उदाहरण पेश किया है. यह केवल राजनीतिक पहल नहीं, बल्कि शासन का नया चेहरा है—जहां जनता से सीधा संवाद, तेज़ कार्रवाई और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जा रही है.
74 करोड़ का राहत पैकेज, 30 दिन में किसानों के खाते में रकम
बाढ़ से तबाह किसानों के लिए 74 करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया गया. इसके तहत 2 लाख क्विंटल मुफ्त गेहूं बीज और प्रति एकड़ 20,000 रुपये का मुआवजा दिया गया. खास बात यह रही कि यह राशि महज 30 दिनों में किसानों के खातों तक पहुंच गई, जो सरकारी प्रक्रियाओं की धीमी रफ्तार को चुनौती देने वाला कदम साबित हुआ.
खेतिहर मजदूरों और छोटे व्यापारियों को भी राहत
मुख्यमंत्री मान ने स्पष्ट निर्देश दिए कि राहत केवल बड़े किसानों तक सीमित न रहे. खेतिहर मजदूरों, छोटे व्यापारियों और गरीब तबके को भी सहायता दी जाए. यह कदम सरकार के समावेशी दृष्टिकोण को दिखाता है, जहां हर वर्ग को राहत योजना का हिस्सा बनाया गया है. यही लोकतंत्र की असली भावना है.
रेत और सिल्ट बेचने की छूट, आर्थिक राहत का नया रास्ता
बाढ़ के बाद खेतों में जमी रेत और सिल्ट को किसानों के लिए कमाई का जरिया बनाया गया. सरकार ने 15 नवंबर तक बिना एनओसी के इन्हें बेचने की अनुमति दी. इस व्यावहारिक निर्णय ने न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि उन्हें अपने नुकसान की भरपाई का अवसर भी दिया.
सोशल मीडिया पर पारदर्शिता, जनता का भरोसा मजबूत
CM मान ने खुद हर राहत कार्य का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया. अधिकारियों के साथ की गई मीटिंग्स और ऑन-ग्राउंड विजिट्स ने प्रशासन को जवाबदेह बनाया. इस पारदर्शिता से जनता में विश्वास बढ़ा और सरकार की छवि “जमीन पर काम करने वाली सरकार” के रूप में और मजबूत हुई.
वित्तीय राहत और सरकारी खरीद की गारंटी
राज्य सरकार ने SDRF मुआवजा बढ़ाकर 40,000 रुपये किया और छह महीने तक ब्याज या किश्त से छूट दी. क्षतिग्रस्त घरों और पशुधन हानि के लिए भी अलग से मुआवजा घोषित हुआ. साथ ही किसानों को आश्वासन दिया गया कि सरकारी खरीद हर हाल में होगी और भुगतान समय पर मिलेगा—यह भरोसा अब पंजाब के हर किसान के दिल में जगह बना चुका है.
भगवंत मान ने यह साबित कर दिया है कि असली नेतृत्व वो होता है जो संकट के समय जनता के साथ खड़ा दिखे. पंजाब में अब राहत कार्य केवल कागजों तक सीमित नहीं, बल्कि हर किसान की मुस्कान में झलक रहा है. यह “जो कहा, वो किया” वाली राजनीति का नया अध्याय है.