एयर इंडिया विमान दुर्घटना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने डीजीसीए से मांगा जवाब, मामले की गोपनीयता रखने का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि दुर्घटना के 102 दिन बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि हादसा क्यों हुआ और भविष्य में इसे कैसे रोका जा सकता है.

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Courtesy: X (@TheDailyPioneer)

Air India Crash: सुप्रीम कोर्ट ने 12 जून 2025 को गुजरात में हुई एयर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच को लेकर केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने इस मामले में स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच सुनिश्चित करने के लिए दो सप्ताह में जवाब मांगा है. 

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि दुर्घटना के 102 दिन बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि हादसा क्यों हुआ और भविष्य में इसे कैसे रोका जा सकता है. उन्होंने जांच पैनल में हितों के टकराव का मुद्दा भी उठाया, क्योंकि पैनल के पांच में से तीन सदस्य डीजीसीए से हैं, जो खुद जांच के दायरे में है. 

कोर्ट ने गोपनीयता बनाए रखने पर दिया जोर

डीजीसीए की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया कि उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ईंधन नियंत्रण स्विच को 'रन' से 'कटऑफ' कर दिया गया, जिससे इंजन की शक्ति कम हुई. कोर्ट ने इस रिपोर्ट को समय से पहले सार्वजनिक करने को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया. पीठ ने कहा कि इससे पायलटों की गरिमा और उनके परिवारों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है. कोर्ट ने गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि जांच पूरी होने से पहले जानकारी लीक करना ठीक नहीं है. प्रशांत भूषण ने फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर को सार्वजनिक करने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इसे जांच पूरी होने तक टाल दिया. पीठ ने कहा कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए, लेकिन पूरी तस्वीर सामने लाने के लिए इसे पूरा होने देना जरूरी है. कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि समय से पहले खुलासे से गलत अफवाहें फैल सकती हैं और प्रतिद्वंद्वी एयरलाइंस इसका फायदा उठा सकती हैं.

अमेरिका, ब्रिटेन और बोइंग कर रही जांच 

एयर इंडिया की उड़ान AI-171 जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस हादसे में 229 यात्रियों, 12 चालक दल के सदस्यों और जमीन पर मौजूद 19 लोगों की मौत हो गई. कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए. भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो ने इसकी जांच शुरू की, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन और बोइंग के विशेषज्ञ शामिल थे. याचिका में बताया गया कि 2018 में अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन ने ईंधन नियंत्रण स्विच की खराबी की चेतावनी दी थी, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं किया गया. इसकी अनदेखी ने दुर्घटना की आशंका को बढ़ाया.  सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने कहा कि यह याचिका न केवल इस हादसे की जांच के लिए है, बल्कि भविष्य में हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए भी है. फाउंडेशन ने जोर दिया कि यात्रियों का भरोसा बनाए रखने के लिए निष्पक्ष जाँच जरूरी है.