पंजाब में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने की दिशा में सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने घोषणा की है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एएनएम और स्टाफ नर्सों के लंबे समय से खाली पड़े पदों को भरने की अनुमति दे दी गई है.
यह कदम ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में बड़ा माना जा रहा है. सरकार का कहना है कि स्टाफ की कमी अब इलाज में बाधा नहीं बनेगी.
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि वित्त विभाग ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके तहत कुल 1,568 रिक्त पदों को भरा जाएगा. सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में जरूरी मानव संसाधन उपलब्ध हों, ताकि मरीजों को समय पर और बेहतर इलाज मिल सके. यह निर्णय राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत आधार देने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
इस मंजूरी के अनुसार एएनएम के 2,000 स्वीकृत पदों में से 729 रिक्त पद भरे जाएंगे. वहीं, स्टाफ नर्सों के 1,896 स्वीकृत पदों में से 839 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी. वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि ये सभी पद ठेका आधारित होंगे और इन्हें प्राथमिकता के आधार पर भरा जाएगा, ताकि अस्पतालों में कार्यभार कम हो और सेवाएं सुचारू रूप से चल सकें.
सरकार के अनुसार इन भर्तियों से राज्य पर सालाना लगभग 48.88 करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ेगा. इसमें एएनएम पदों पर 18.98 करोड़ रुपये और स्टाफ नर्सों पर 29.90 करोड़ रुपये खर्च होंगे. स्वीकृत वेतन संरचना के तहत एएनएम को 21,700 रुपये और स्टाफ नर्सों को 29,700 रुपये प्रति माह वेतन दिया जाएगा. सरकार ने इसे स्वास्थ्य क्षेत्र में जरूरी निवेश बताया है.
वित्त मंत्री चीमा ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह योग्यता और पारदर्शिता के आधार पर होगी. प्रस्ताव है कि लिखित परीक्षा बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट द्वारा करवाई जाएगी. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि स्वास्थ्य विभाग को इन नियुक्तियों के लिए पर्सनल विभाग से आवश्यक सहमति लेनी होगी, ताकि प्रक्रिया नियमों के अनुरूप पूरी की जा सके.
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है. वित्त मंत्री ने कहा कि इन पदों के भरने से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यक्षमता बढ़ेगी और आम लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. यह फैसला न सिर्फ स्टाफ की कमी दूर करेगा, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार नागरिकों की भलाई के लिए ठोस और व्यावहारिक कदम उठा रही है.