सुप्रीम कोर्ट की ED को फटकार! CJI गवई बोले, 'फिल्म भी अस्पताल में देखी, यूट्यूब देखने का समय नहीं'

उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है. यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया. इसलिए, उनकी सजा रद्द की जाती है. कोर्ट ने सबूतों, जैसे विस्फोटकों और सर्किट बॉक्स, की हैंडलिंग पर भी सवाल उठाए.

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा वकीलों को समन भेजे जाने पर कड़ा रुख अपनाया. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया कि कुछ राजनेता इंटरव्यू के जरिए ईडी के खिलाफ गलत नैरेटिव बना रहे हैं. इस पर मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमारे पास अखबार पढ़ने या यूट्यूब देखने का समय नहीं है. मुझे फिल्म देखने का मौका भी तब मिला जब पिछले हफ्ते मैं अस्पताल में भर्ती था.

वकीलों को समन पर कोर्ट की चिंता

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और अन्य कानूनी संगठनों ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर बताया कि ईडी ने कई वरिष्ठ वकीलों को उनके क्लाइंट्स को कानूनी सलाह देने के लिए समन भेजा. कोर्ट ने इस पर सवाल उठाया कि बिना अनुमति के वकीलों को समन कैसे जारी किया जा सकता है. सीजेआई गवई ने कहा कि अगर कोई वकील गलत सलाह भी देता है, तो उसे समन भेजने से पहले अनुमति लेनी होगी. इसके लिए दिशा-निर्देश बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया.

कानूनी पेशे पर प्रभाव

वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि ईडी की कार्रवाई से कानूनी पेशे पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. उन्होंने तुर्किए और चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि हमने तुर्किए में देखा कि कैसे पूरी बार एसोसिएशन को भंग कर दिया गया. हमें उस दिशा में नहीं जाना चाहिए.

कोर्ट ने उनकी बात से सहमति जताई और अगले सप्ताह सुनवाई के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त करने का फैसला किया. एसजी मेहता ने एक मामले का जिक्र किया जिसमें मर्डर के बाद लाश छिपाने के लिए वकील से सलाह मांगी गई थी. इस पर सीजेआई ने स्पष्ट किया कि यह आपराधिक मामला है, लेकिन वकील को समन भेजने के लिए अनुमति जरूरी है. कोर्ट ने ईडी को गाइडलाइंस बनाने का निर्देश दिया.