आज सफला एकादशी के दिन पढ़ें चमत्कारी व्रत कथा, जीवन हो जाएगा सफल!

सफला एकादशी का व्रत हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस व्रत से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है. इस साल यह व्रत 15 दिसंबर को है और कथा का पाठ अनिवार्य है.

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Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: सफला एकादशी का व्रत हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस व्रत का नाम 'सफला' होने के कारण ही इसे रखने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है. खास बात यह है कि इस साल सफला एकादशी का व्रत आज यानी 15 दिसंबर को रखा जा रहा है. व्रत का पालन करने के साथ-साथ इसकी कथा का पाठ करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसके बिना व्रत अधूरा होता है.

यह व्रत एक प्रसिद्ध कथा से जुड़ा हुआ है, जो एक राजा के बेटे की जीवन बदलने की कहानी है. एक समय की बात है, चंपावती नामक एक नगरी में राजा महिष्मान राज्य करते थे. उनके पांच पुत्र थे, लेकिन उनका सबसे बड़ा बेटा लुम्पक बहुत ही दुष्ट और पापी था. वह न केवल ब्राह्मणों और देवताओं का अपमान करता था, बल्कि अपने बुरे कर्मों के कारण अपने पिता के गुस्से का शिकार हो गया और उसे राज्य से बाहर निकाल दिया गया.

लुम्पक ने अनजाने में रखा एकादशी का व्रत

लुम्पक अब जंगल में दर-दर भटकने लगा और भूख के कारण चोरी करने लगा. एक दिन, पौष महीने के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि की रात वह ठंड से ठिठुरता हुआ जागता रहा. सुबह जब उसे होश आया, तो उसने सोचा कि कुछ फल खाकर अपनी भूख शांत करेगा. उसने जंगल से फल तोड़े और पीपल के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु का नाम लेकर उन्हें अर्पित किया. इस प्रकार उसने अनजाने में ही सफला एकादशी का उपवास और रात्रि जागरण पूरा कर लिया.

भगवान विष्णु ने दिया आशीर्वाद 

भगवान विष्णु इससे प्रसन्न हुए और लुम्पक को आशीर्वाद दिया. अगली सुबह उसे एक दिव्य घोड़ा और सुंदर वस्त्र मिले. इसके बाद एक आकाशवाणी हुई, 'हे लुम्पक! यह सब सफला एकादशी के व्रत का फल है. अब तुम अपने पिता के पास लौट जाओ और राज्य संभालो.' लुम्पक ने पश्चाताप किया और अपने पिता के पास लौटकर उनसे क्षमा मांगी. राजा महिष्मान ने उसे क्षमा किया और उसे राज्य सौंप दिया. लुम्पक ने धर्म के मार्ग पर चलते हुए राज्य की बागडोर संभाली और अंततः भगवान विष्णु के आशीर्वाद से विष्णु लोक में स्थान पाया.

सफला एकादशी के व्रत का महत्व

सफला एकादशी का व्रत रखने से न केवल पुराने पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन के हर संकट और कठिनाई से भी मुक्ति मिलती है. यह व्रत विशेष रूप से मानसिक शांति, समृद्धि, और सफलता के लिए प्रभावशाली माना जाता है. इसके अलावा, यह व्रत श्री विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है. सफला एकादशी के दिन व्रति का उपवास और रातभर जागरण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.