सालों पुराने औद्योगिक विवादों का समाधान, पंजाब के उद्योगपतियों को मान सरकार ने दिया ‘सेकंड चांस’

उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने मुख्यमंत्री भगवंत मान का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 3 मार्च 2025 को मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी मिलने के मात्र 10 दिनों के भीतर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया, जो सरकार की त्वरित कार्यशैली को दर्शाता है.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: Social Media

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने उद्योगपतियों को एक अभूतपूर्व राहत देते हुए ऐतिहासिक वन टाइम सेटलमेंट योजना की शुरुआत की है. यह योजना उन 1,145 औद्योगिक प्लॉट धारकों के लिए एक वरदान साबित हो रही है जो पिछले चालीस से अधिक वर्षों से बढ़ी हुई जमीन की लागत और मूल राशि के भुगतान में डिफॉल्ट होने के कारण कानूनी और वित्तीय परेशानियों का सामना कर रहे थे. पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज एंड एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (PSIEC) की यह योजना 31 दिसंबर 2025 तक खुली है और इससे उद्योगपतियों को कुल 410 करोड़ रुपये की राहत मिलने की उम्मीद है. यह पहल न केवल पुराने विवादों को सुलझाने में मदद करेगी, बल्कि पंजाब में औद्योगिक विकास को भी गति देगी और हजारों रोजगार के अवसर पैदा करेगी.

उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने मुख्यमंत्री भगवंत मान का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 3 मार्च 2025 को मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी मिलने के मात्र 10 दिनों के भीतर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया, जो सरकार की त्वरित कार्यशैली को दर्शाता है. उन्होंने कहा, “यह योजना उन औद्योगिक इकाइयों के लिए एक नया जीवन है जो दशकों से वित्तीय बोझ तले दबी हुई थीं. मान सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह उद्योग-समर्थक सरकार है.” योजना के तहत डिफॉल्टर प्लॉट धारकों को केवल 8 प्रतिशत साधारण ब्याज पर अपनी बकाया राशि का भुगतान करना होगा और 100 प्रतिशत दंडात्मक ब्याज माफ कर दिया जाएगा. यह छूट उन उद्योगपतियों के लिए भी लागू है जिनके प्लॉट पहले ही रद्द हो चुके हैं.

इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जिन उद्योगपतियों के आवंटन रद्द हो चुके हैं, वे भी अपनी बकाया राशि का भुगतान करके अपने प्लॉट वापस पा सकते हैं. यह ‘सेकंड चांस’ की संकल्पना उन सैकड़ों छोटे और मध्यम उद्यमियों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है जिन्होंने आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपनी औद्योगिक इकाइयां खो दी थीं. योजना 1 जनवरी 2020 से पहले आवंटित सभी औद्योगिक प्लॉट, शेड और आवासीय प्लॉट पर लागू होगी. मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि यह योजना बढ़ी हुई भूमि लागत और विलंबित मूल भुगतान से संबंधित औद्योगिक विवादों को निपटाने की सुविधा प्रदान करेगी. PSIEC द्वारा विकसित औद्योगिक फोकल पॉइंट्स में स्थित सभी संपत्तियां इस योजना के दायरे में आएंगी.

लुधियाना से राज्यसभा सांसद और पश्चिम लुधियाना से विधायक संजीव अरोड़ा ने इस योजना को एक “गेम चेंजर” बताते हुए कहा कि वह लंबे समय से इस मुद्दे को सरकार के साथ उठाते रहे हैं. उन्होंने कैबिनेट बैठक से पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात की और उद्योगपतियों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं के बारे में जानकारी दी. अरोड़ा ने कहा, “यह योजना केवल वित्तीय राहत नहीं है, बल्कि उद्योगपतियों के भरोसे को बहाल करने का माध्यम है. जो लोग दशकों से अनिश्चितता में जी रहे थे, अब वे आत्मविश्वास से अपने व्यवसाय को पुनर्जीवित कर सकते हैं.” उन्होंने बताया कि लुधियाना में सैकड़ों औद्योगिक इकाइयां इस समस्या से प्रभावित थीं और अब उन्हें नई उम्मीद मिली है.

पंजाब के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से मिली प्रतिक्रियाएं बेहद सकारात्मक हैं. जालंधर के एक छोटे उद्योगपति रविंदर सिंह ने बताया, “2018 में मुझे एक प्लॉट आवंटित हुआ था, लेकिन व्यवसाय में आई कठिनाइयों के कारण मैं बढ़ी हुई लागत का भुगतान नहीं कर सका. मेरा प्लॉट रद्द हो गया और मैंने सोचा कि सब कुछ खत्म हो गया. अब इस योजना ने मुझे फिर से खड़े होने का मौका दिया है.” इसी तरह मोहाली के औद्योगिक क्षेत्र से हरदीप कौर ने कहा, “हम पिछले पांच वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे और भारी वकीलों की फीस चुका रहे थे. यह योजना हमारे लिए राहत की सांस है. अब हम अपना पूरा ध्यान व्यवसाय विस्तार पर लगा सकते हैं.” उद्योग संघों ने भी इस पहल की सराहना की है और अधिक से अधिक सदस्यों को योजना का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

इस योजना का आर्थिक प्रभाव व्यापक होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि 1,145 उद्योगपतियों को राहत मिलने से न केवल उनके व्यवसाय स्थिर होंगे, बल्कि नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. ये उद्योगपति सामूहिक रूप से हजारों लोगों को रोजगार देते हैं. PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह योजना पंजाब को एक उद्योग-अनुकूल राज्य के रूप में स्थापित करेगी और नए निवेश को आकर्षित करेगी. आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, इस योजना से राज्य की GDP में भी वृद्धि होगी क्योंकि बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयां फिर से शुरू होंगी. PSIEC को भी लंबे समय से लंबित बकाया राशि मिलने से उसकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और वह नई औद्योगिक परियोजनाओं में निवेश कर सकेगा.

पंजाब सरकार ने योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं. PSIEC द्वारा एक विशेष वर्चुअल हेल्प डेस्क स्थापित की गई है जहां उद्योग प्रवर्तक योजना का लाभ उठाने के लिए सहायता प्राप्त कर सकते हैं. यह हेल्प डेस्क आवेदकों के लिए एक सुगम और परेशानी मुक्त प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी. PSIEC के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि योजना के तहत केवल प्लॉट की मूल लागत और बढ़ी हुई भूमि लागत पर ही OTS लागू होगी. मूल राशि किसी भी तरह से माफ नहीं की जाएगी, लेकिन 100 प्रतिशत दंडात्मक ब्याज की छूट और केवल 8 प्रतिशत साधारण ब्याज का प्रावधान उद्योगपतियों के लिए बड़ी राहत है. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि डिफॉल्टर इस योजना के तहत भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो बकाया राशि उनके संबंधित आवंटन की शर्तों के अनुसार वसूल की जाएगी.

मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया था, जो सरकार की उद्योग-केंद्रित नीतियों का प्रमाण है. मान सरकार ने अपने कार्यकाल में कई उद्योग-समर्थक पहल की हैं, जिनमें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना, सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम और निवेशक अनुकूल नीतियां शामिल हैं. इस OTS योजना को भी उसी शृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जा रहा है. उद्योग मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने कहा, “यह पहल पंजाब में औद्योगिक विकास को गति देगी, राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और व्यवसायों तथा रोजगार सृजन के समर्थन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगी.” यह योजना पंजाब को उत्तर भारत के प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

31 दिसंबर 2025 की अंतिम तिथि को ध्यान में रखते हुए, उद्योगपतियों से अपील की जाती है कि वे जल्द से जल्द इस योजना का लाभ उठाएं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना न केवल मौजूदा समस्याओं का समाधान है, बल्कि यह भविष्य में बेहतर औद्योगिक माहौल की नींव भी रखती है. सोशल मीडिया पर भी उद्योगपतियों और व्यापारियों ने इस योजना की खूब सराहना की है. कई लोग इसे “मान सरकार का उद्योगों के लिए दिवाली गिफ्ट” बता रहे हैं. राज्य भर में उद्योग संघ अपने सदस्यों को जागरूक करने के लिए विशेष शिविर आयोजित कर रहे हैं. PSIEC के कार्यालयों में पूछताछ करने वालों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो योजना की लोकप्रियता को दर्शाता है.

पंजाब सरकार की यह पहल यह संदेश देती है कि जब सरकार उद्योग-अनुकूल होती है तो न केवल व्यवसायों को फायदा होता है, बल्कि समाज के सभी वर्गों को लाभ मिलता है. औद्योगिक इकाइयों के पुनर्जीवित होने से रोजगार बढ़ेगा, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और पंजाब की समग्र विकास दर में सुधार होगा. यह योजना उन हजारों परिवारों के लिए आशा की किरण है जो इन औद्योगिक इकाइयों पर निर्भर हैं. अब जिम्मेदारी उद्योगपतियों की है कि वे समय रहते इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाएं और अपने लंबित मामलों को सुलझाकर पंजाब के औद्योगिक विकास में अपना योगदान दें. विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना की सफलता अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है.