नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को हरियाणा के अंबाला वायुसेना स्टेशन से राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरी. यह उड़ान भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना बन गई. राष्ट्रपति को विमान उड़ाने का काम भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने किया. इससे राष्ट्रपति ने वायुसेना की ताकत को करीब से जाना.
राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को इस उड़ान की जानकारी दी. बयान में कहा गया कि भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हरियाणा के अंबाला जाएंगी, जहां वह राफेल में उड़ान भरेंगी. यह उड़ान राष्ट्रपति की साहस और वायुसेना के प्रति सम्मान को दिखाती है. इससे सैनि कों का मनोबल भी बढ़ता है.
भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इस दौरान राफेल विमानों ने मुख्य भूमिका निभाई. ये विमान दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले करने में सक्षम साबित हुए. इससे भारत की रक्षा क्षमता का प्रदर्शन हुआ. राष्ट्रपति की उड़ान से इन विमानों की ताकत पर और जोर पड़ा. यह राष्ट्रपति मुर्मू की पहली लड़ाकू विमान उड़ान नहीं है.
2023 में उन्होंने असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन से सुखोई 30 एमकेआई विमान में उड़ान भरी. उस समय वे हवा में लगभग 30 मिनट रहीं. उड़ान के दौरान उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी और तेजपुर घाटी को ऊपर से देखा. सुरक्षित वापसी के बाद उन्होंने वायुसेना की प्रशंसा की. यह अनुभव उनके लिए यादगार रहा.
राष्ट्रपति मुर्मू से पहले अन्य राष्ट्रपतियों ने भी लड़ाकू विमानों में उड़ान भरी. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 8 जून 2006 को पुणे के लोहेगांव वायुसेना अड्डे से सुखोई 30 एमकेआई में उड़ान की. इसी तरह पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 25 नवंबर 2009 को उसी जगह से उड़ान भरी. ये उड़ानें राष्ट्रपति पद की गरिमा और सैन्य ताकत को जोड़ती हैं. इससे आम लोगों में वायुसेना के प्रति विश्वास बढ़ता है.
राफेल जेट भारत की वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण हैं. ये बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान हैं. भारत ने फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन से इन्हें खरीदा. 2016 में 36 राफेल जेट खरीदने का समझौता हुआ. इनमें मेटियोर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं. स्कैल्प क्रूज मिसाइलें भी शामिल हैं. उन्नत रडार सिस्टम इनकी ताकत बढ़ाते हैं. राफेल हवाई श्रेष्ठता हासिल करने में माहिर हैं. ये जमीन पर हमले कर सकते हैं. टोही मिशन भी इनके लिए आसान हैं. क्षेत्रीय खतरों से निपटने में ये विमान भारत को मजबूत बनाते हैं. इनकी गति और तकनीक दुश्मनों पर भारी पड़ती है.