Mazagon Dock: मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) को वित्तीय वर्ष 2025-26 समाप्त होने से पहले भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बी निर्माण हेतु केंद्र सरकार से दो बड़े अनुबंध मिलने की संभावना है. अधिकारियों के अनुसार, इन अनुबंधों की कुल कीमत ₹1.06 लाख करोड़ से अधिक होगी.
पहला अनुबंध ₹70,000 करोड़ का प्रोजेक्ट 75I है, जिसमें MDL और जर्मन कंपनी थायसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (tkMS) मिलकर छह उन्नत पनडुब्बियां बनाएंगे. दूसरा अनुबंध ₹36,000 करोड़ का है, जिसमें तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियां बनाई जाएंगी.
प्रोजेक्ट 75I और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां
प्रोजेक्ट 75I के तहत बनने वाली पनडुब्बियां HDW क्लास 214 का उन्नत संस्करण होंगी, जो एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम से लैस होंगी. यह तकनीक पनडुब्बियों की जलमग्न रहने की अवधि को बढ़ाएगी और खोजे जाने के जोखिम को कम करेगी.
MDL के निदेशक (सबमरीन और हेवी इंजीनियरिंग) कमोडोर (रिटायर्ड) एसबी जामगांवकर ने बताया कि अनुबंध पर हस्ताक्षर के सात साल बाद पहली पनडुब्बी नौसेना को सौंपी जाएगी, और बाकी एक-एक साल के अंतराल पर. स्कॉर्पीन-श्रेणी की पहली पनडुब्बी छह साल में तैयार होगी.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
प्रोजेक्ट 75I में पहली पनडुब्बी में 45% और छठी में 60% स्वदेशीकरण सुनिश्चित किया जाएगा. MDL ने लार्सन एंड टुब्रो-नवान्टिया गठजोड़ को पछाड़कर यह अनुबंध हासिल किया है. दिसंबर 2024 में, रक्षा मंत्रालय ने ₹2,867 करोड़ के दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें MDL को ₹1,990 करोड़ का AIP प्लग निर्माण और नेवल ग्रुप को ₹877 करोड़ का टॉरपीडो एकीकरण अनुबंध शामिल है.
MDL के निदेशक (कॉर्पोरेट प्लानिंग) कमांडर (रिटायर्ड) वी पुराणिक ने कहा कि MDL एक साथ 11 पनडुब्बियां और 10 विध्वंसक जहाज बनाने में सक्षम है. इन परियोजनाओं से भारत की समुद्री ताकत और आत्मनिर्भरता में वृद्धि होगी.