Rohith Vemula Bill: कर्नाटक सरकार ने सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. राज्य सरकार जल्द ही रोहित वेमुला बिल पेश करने जा रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को शैक्षणिक संस्थानों में सुरक्षा प्रदान करना है. यह बिल छात्रों के खिलाफ भेदभाव और उत्पीड़न को रोकने के लिए एक सख्त कानूनी ढांचा तैयार करेगा.
बिल के प्रमुख प्रावधान
रोहित वेमुला बिल के तहत अपराध को गैर-जमानती और संज्ञेय माना जाएगा. इसका मतलब है कि आरोपी को तत्काल जमानत नहीं मिलेगी, और पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है. पहली बार अपराध करने वालों को एक साल की सजा और 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा. इसके अलावा, अदालत पीड़ित को 1 लाख रुपये तक का मुआवजा प्रदान कर सकती है.
दोहराने वाले अपराधियों के लिए सख्त सजा
यदि कोई व्यक्ति बार-बार इस तरह का अपराध करता है, तो सजा को और सख्त किया गया है. दोहराने वाले अपराधियों को तीन साल की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना भुगतना होगा. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि शैक्षणिक संस्थानों में भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाए.
सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम
रोहित वेमुला बिल का नामकरण दलित छात्र रोहित वेमुला की स्मृति में किया गया है, जिनकी दुखद मृत्यु ने देशभर में सामाजिक भेदभाव के खिलाफ बहस को तेज किया था. यह बिल न केवल छात्रों को सुरक्षित माहौल प्रदान करेगा, बल्कि शैक्षणिक संस्थानों में समावेशी संस्कृति को बढ़ावा देगा. कर्नाटक सरकार का यह प्रयास सामाजिक समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. बिल के लागू होने से राज्य में शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है.