जगदीप धनखड़ ने पहले ही बताया था रिटायरमेंट प्लान, फिर अचानक से क्यों दे दिया इस्तीफा? 

आपको बता दें, पूर्व राष्ट्रपति धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 में समाप्त होने वाला था, लेकिन उन्होंने लगभग 2 साल पहले ही इस्तीफा दे दिया है. उनके इस फैसले के बाद राजनीति में कई सवाल उठ रहे हैं.

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Vice President Jagdeep Dhankhar resignation: संसद के मानसून सत्र के पहले दिन भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने सभी को चौंका दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि मैं तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा, "मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है, यह मेरे लिए स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय है." 

आपको बता दें, पूर्व राष्ट्रपति धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 में समाप्त होने वाला था, लेकिन उन्होंने लगभग 2 साल पहले ही इस्तीफा दे दिया है. उनके इस फैसले के बाद राजनीति में कई सवाल उठ रहे हैं.

11 दिन पहले ही किया था बड़ा खुलासा 

जगदीप धनखड़ के इस फैसले के बारे में किसी को पता नहीं था? क्योंकि 11 दिन पहले ही उन्होंने एक कार्यक्रम में अपने संन्यास का बड़ा ऐलान किया था. इसी कार्यक्रम में उन्होंने अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि मैं साल 2027 में सेवानिवृत्त हो जाऊँगा. लेकिन सोमवार शाम साढ़े नौ बजे उन्होंने राष्ट्रपति धनखड़ को अपना इस्तीफा सौंप दिया. यह खबर सामने आते ही भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया है.

साल 2022 में पीएम मोदी की अगुवाई वाली एनडीए ने एक बड़ा फैसला लिया. उस समय जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. उन्होंने उन्हें भारत का उपराष्ट्रपति बनाने का फैसला किया और चुनाव में उतारा. 6 अगस्त 2022 को हुए इस चुनाव में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया. इस दौरान धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले. वहीं, उनके खिलाफ खड़ी उम्मीदवार अल्वा को 182 वोट मिले. 10 अगस्त को जगदीप धनखड़ ने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.

JNU में हुआ था कार्यक्रम

10 जुलाई 2025 को JNU में एक कार्यक्रम के दौरान जगदीप धनखड़ ने कहा था, "ईश्वर की कृपा रही तो मैं अगस्त 2027 में रिटायर हो जाऊंगा." यह बयान उनके पांच साल के कार्यकाल को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता था. लेकिन 21 जुलाई की रात को, संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया. इस अप्रत्याशित कदम ने सभी को हैरान कर दिया. 

सच या बहाना?

धनखड़ ने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य समस्याओं को बताया. इस साल मार्च में उन्हें सीने में दर्द के बाद दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी हुई. हालांकि, इसके बावजूद वे सक्रिय रहे और संसद सत्र में भी हिस्सा लिया. 21 जुलाई को उन्होंने पूरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किया, जिससे उनके अचानक इस्तीफे पर सवाल उठ रहे हैं. विपक्षी नेताओं, जैसे कांग्रेस के जयराम रमेश और सुखदेव भगत, ने इस फैसले को अप्रत्याशित बताते हुए इसके पीछे अन्य कारणों की आशंका जताई है.

राजनीतिक दबाव और यशवंत वर्मा विवाद

सूत्रों के अनुसार, धनखड़ का इस्तीफा मानसून सत्र के पहले दिन न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव से जुड़ा हो सकता है. विपक्ष ने राज्यसभा में यह प्रस्ताव पेश किया, जिसे धनखड़ ने स्वीकार कर लिया. यह कदम सत्तारूढ़ दल को रास नहीं आया. खासकर, बीजेपी नेता जेपी नड्डा के बयान, "मेरे शब्द रिकॉर्ड में दर्ज होंगे," को कुछ लोग धनखड़ के प्रति अपमान के रूप में देख रहे हैं.

इसके अलावा बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में नड्डा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति ने भी धनखड़ को नाराज किया हो सकता है. कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने इस घटनाक्रम को बिहार विधानसभा चुनाव से भी जोड़ा, जिससे सियासी अटकलों को और बल मिला.

इतिहास में तीसरे उपराष्ट्रपति जिन्होंने छोड़ा अधूरा कार्यकाल

जगदीप धनखड़ भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. इससे पहले, वी.वी. गिरी ने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया था, और कृष्ण कांत का 2002 में कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था. धनखड़ का यह कदम भारतीय इतिहास में पहला मौका है, जब किसी उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया हो.

आगे क्या?

संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद पर रिक्ति को जल्द से जल्द भरने के लिए चुनाव कराया जाएगा. धनखड़ के इस फैसले ने बीजेपी के सामने नया उपराष्ट्रपति चुनने की चुनौती खड़ी कर दी है, खासकर जब पार्टी गठबंधन सरकार चला रही है.