चित्तूर मेयर हत्याकांड में पांच को मौत की सजा, जानें क्या था पूरा मामला

चित्तूर की मेयर कटारी अनुराधा और उनके पति मोहन की 2015 में नगर निगम कार्यालय में हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई. मुख्य आरोपी उनका रिश्तेदार था. मामला दस साल से चल रहा था.

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Courtesy: X (@eshaniverma809)

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में एक पुराने हत्याकांड ने फिर से सुर्खियां बटोरी हैं. सत्र अदालत ने शुक्रवार को चित्तूर की पूर्व मेयर कटारी अनुराधा और उनके पति मोहन की हत्या के पांच आरोपियों को मौत की सजा सुनाई. यह फैसला लोगों के बीच न्याय की जीत के रूप में देखा जा रहा है. अदालत का यह कदम उस घटना को याद दिलाता है जो नवंबर 2015 में हुई थी. उस समय पूरा इलाका सदमे में डूब गया था.

नवंबर 2015 की एक सामान्य सुबह चित्तूर नगर निगम कार्यालय में बदल गई. मेयर कटारी अनुराधा और उनके पति मोहन वहां मौजूद थे. अचानक एक हथियारबंद गिरोह ने उन पर हमला कर दिया. हमलावरों ने कोई मौका नहीं दिया. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. यह घटना इतनी तेजी से हुई कि आसपास के लोग कुछ समझ भी नहीं पाए. पुलिस ने तुरंत छानबीन शुरू की, शुरुआती जांच में पता चला कि यह कोई साधारण हमला नहीं था. इसके पीछे गहरी साजिश थी.

अदालत ने पांचों आरोपियों को दोषी ठहराया

हत्या के पीछे का सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह था कि मुख्य आरोपी दंपति का रिश्तेदार था. चंद्रशेखर उर्फ चिंटू उसकी उम्र 46 साल थी. वह इस साजिश का मास्टरमाइंड था. पुलिस ने उसे और अन्य लोगों को जल्दी पकड़ लिया. शुरुआत में प्राथमिकी चंद्रशेखर और 23 अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज की गई. जांच आगे बढ़ी तो कई नाम सामने आए. अदालत में आरोप पत्र दाखिल हुआ. इसमें पांच लोग मुख्य रूप से शामिल थे.

24 अक्टूबर को चित्तूर के ग्यारहवें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने पांचों आरोपियों को दोषी ठहराया. ये आरोपी थे चंद्रशेखर जीएस वेंकटचलपति जयप्रकाश रेड्डी मंजूनाथ और वेंकटेश. दोषी ठहराने के बाद सजा की तारीख अलग रखी गई. शुक्रवार को सजा सुनाई गई. जज ने सभी को मौत की सजा दी. यह फैसला सुनकर अदालत कक्ष में सन्नाटा छा गया. पीड़ित परिवार के लोग राहत महसूस कर रहे थे.

10 सालों से चल रहा केस

यह मामला लगभग एक दशक से चल रहा था. दस साल में कई उतार चढ़ाव आए. प्रक्रियात्मक कारणों से सुनवाई बार बार स्थगित हुई. साक्ष्य जुटाने में भी दिक्कतें आईं, शुरुआत में 24 आरोपी थे. लेकिन एक को सबूतों की कमी से बरी कर दिया गया. एक अन्य आरोपी की मुकदमे के दौरान मौत हो गई. दो लोग अभी भी रिमांड पर हैं. उनकी स्थिति अलग है. बाकी पांच पर अदालत ने सख्त कार्रवाई की. पुलिस ने शुरू से ही मेहनत की. हत्या के तुरंत बाद गिरोह के सदस्यों को ट्रेस किया. हथियारों की बरामदगी हुई. सब कुछ अदालत में पेश किया. जांच अधिकारी ने बताया कि साजिश परिवारिक रंजिश से जुड़ी थी. चंद्रशेखर का मकसद संपत्ति और पुरानी दुश्मनी था. पुलिस की रिपोर्ट ने मामले को मजबूत बनाया.