CJI गवई की तरफ जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर पर चलेगा अवमानना का मुकदमा, जानें पूरी डिटेल 

CJI BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व घटना के बाद अब वकील राकेश किशोर पर आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलेगा. उन्होंने 6 अक्टूबर 2025 को कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) की ओर जूता फेंक दिया था.

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CJI BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व घटना के बाद अब वकील राकेश किशोर पर आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलेगा. उन्होंने 6 अक्टूबर 2025 को कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) की ओर जूता फेंक दिया था. इस घटना ने न्यायपालिका और कानूनी बिरादरी में गहरी नाराजगी पैदा की थी.

जस्टिस जोयमाल्या बागची भी शामिल

कुछ वरिष्ठ वकीलों ने इस कृत्य को अदालत की गरिमा पर हमला बताते हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी से आपराधिक अवमानना की अनुमति मांगी थी. अब अटॉर्नी जनरल ने मुकदमे की अनुमति दे दी है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को दीवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.

गुरुवार, 16 अक्टूबर को यह मामला जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रखा गया. बेंच में जस्टिस जोयमाल्या बागची भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह तथा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को सूचित किया कि अटॉर्नी जनरल से विधिवत सहमति प्राप्त हो गई है.

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत ने टिप्पणी की कि “चीफ जस्टिस ने स्वयं उदारता दिखाते हुए इस मामले में कोई कार्रवाई न करने की बात कही थी. यह दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट के सम्मान पर इस घटना का कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ा.” हालांकि, विकास सिंह और तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सोशल मीडिया पर इस घटना की प्रस्तुति ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुँचाया है.

बार एसोसिएशन ने भी उनकी सदस्यता रद्द कर दी

बेंच ने यह भी कहा कि यदि इस मामले को दोबारा उठाया गया तो यह सोशल मीडिया पर नई चर्चाओं को जन्म देगा. इस पर वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा, “उस व्यक्ति ने न तो कोई पछतावा दिखाया है, बल्कि वह लगातार अपने कृत्य पर गर्व करते हुए बयान दे रहा है. ऐसे में यह आवश्यक है कि अदालत अपनी गरिमा की रक्षा के लिए कदम उठाए.”

घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा टीम ने राकेश किशोर को तत्काल हिरासत में लिया था. हालांकि, कोर्ट रजिस्ट्री की ओर से कोई औपचारिक शिकायत न मिलने के कारण दिल्ली पुलिस ने बाद में उन्हें रिहा कर दिया.

इस बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उनकी वकालत पर रोक लगा दी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी उनकी सदस्यता रद्द कर दी है. यह मामला अब न्यायपालिका की गरिमा और अनुशासन के प्रश्न से जुड़ गया है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय आगामी सुनवाई में तय करेगा.