PM Modi China Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन यात्रा पर जाने वाले है. पीएम मोदी की यह यात्रा 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद पहली चीन यात्रा होगी. इससे पहले वे 30 अगस्त को जापान में भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इस दौरान जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ उनकी मुलाकात होगी.
एससीओ शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और व्यापार पर चर्चा होनी है. इस दौरान भारत-चीन संबंधों को स्थिर करने और संवाद बढ़ाने पर जोर रहेगा. अक्टूबर 2024 में कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी. इसके बाद दोनों देशों ने सीमा तनाव कम करने की दिशा में भी कदम उठाया था. जिसके परिणाम स्वरूप इस साल भारत से मानसरोवर यात्रा भी शुरु की गई.
पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर निशाना साधा है. ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने और डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए ब्रिक्स देशों की आलोचना की. उन्होंने भारत सहित इन देशों पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है. इस पृष्ठभूमि में, एससीओ शिखर सम्मेलन का महत्व और बढ़ गया है. एससीओ में आतंकवाद का मुद्दा हमेशा अहम रहा है. जून में क़िंगदाओ में हुई एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया था. उन्होंने एक ऐसे दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जो भारत के आतंकवाद और पहलगाम हमले पर रुख को कमजोर करता. इसके चलते एससीओ ने संयुक्त बयान जारी नहीं किया.
चीन से पहले, मोदी जापान में फुमियो किशिदा से मुलाकात करेंगे. भारत-जापान शिखर सम्मेलन में दोनों देश रक्षा, व्यापार और तकनीक पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे. यह मुलाकात भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम है. जापान और भारत के बीच मजबूत संबंध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता के लिए जरूरी हैं. मोदी की यह यात्रा भारत की कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण है. एक तरफ, भारत-चीन संबंधों में सुधार की कोशिश होगी. दूसरी तरफ, वैश्विक व्यापार और सुरक्षा के मुद्दों पर भारत अपनी स्थिति मजबूत करेगा. एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत का रुख क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर केंद्रित रहेगा. दुनिया की नजर इस यात्रा पर होगी.