व्हाइट हाउस में जेलेंस्की की कठोर रुख, पुतिन पर साधा निशाना

अमेरिका के व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के बीच एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में ज़ेलेंस्की ने पुतिन पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान ज़ेलेंस्की ने साफ़ कर दिया कि युद्ध की शुरुआत पुतिन ने की थी और उसे ख़त्म भी वही करेंगे.

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White House News: अमेरिका के व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के बीच एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में ज़ेलेंस्की ने पुतिन पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान ज़ेलेंस्की ने साफ़ कर दिया कि युद्ध की शुरुआत पुतिन ने की थी और उसे ख़त्म भी वही करेंगे.

यह बयान ट्रंप के उस पोस्ट के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि युद्ध का अंत जेलेंस्की के फैसले पर निर्भर करता है. सोमवार, 18 अगस्त 2025 को व्हाइट हाउस में यूरोप के शीर्ष नेताओं का जमावड़ा होने जा रहा है, जहां युद्धविराम पर चर्चा होगी.

जेलेंस्की का कड़ा रुख

जेलेंस्की ने अपने बयान में कहा कि रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया और अब पुतिन ने डोनबास पर कब्जे सहित चार शर्तें रखी हैं. पुतिन का दावा है कि डोनबास पर नियंत्रण के बदले वह जेपोरिजिया के कुछ हिस्सों को यूक्रेन को लौटा देगा.

हालांकि, जेलेंस्की ने साफ तौर पर किसी भी क्षेत्र को रूस के हवाले करने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि डोनबास पर रूस का कब्जा भविष्य में यूक्रेन के लिए और खतरा पैदा करेगा. इसके अलावा, पुतिन ने क्रीमिया को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने की मांग भी की है, जिसे जेलेंस्की ने खारिज कर दिया.

ट्रंप की शर्तें और बैठक की रणनीति

डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर पोस्ट कर जेलेंस्की के सामने दो बड़ी शर्तें रखी हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन को नाटो की सदस्यता और क्रीमिया पर दावा छोड़ना होगा. ट्रंप का मानना है कि इन शर्तों को मानने पर युद्ध समाप्त हो सकता है.

इस बैठक में यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष, नाटो प्रमुख, फ्रांस के राष्ट्रपति, जर्मनी के चांसलर, इटली और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे. 

युद्धविराम की उम्मीद

व्हाइट हाउस की यह बैठक युद्धविराम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है. जेलेंस्की का कड़ा रुख और ट्रंप की मध्यस्थता इस क्षेत्रीय संकट को सुलझाने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है. हालांकि, पुतिन की शर्तों और यूक्रेन की अडिग स्थिति के बीच समझौता आसान नहीं होगा.