ईरान में बदलाव की हुंकार, क्राउन प्रिंस रजा पहलवी की लोकतंत्र की मांग

ईरान के पूर्व क्राउन प्रिंस रेजा पहलवी ने एक बार फिर कट्टरपंथी शासन के खिलाफ आवाज उठाई है और देश में सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता की वकालत की है. उन्होंने कहा कि ईरान से इस्लामी कट्टरवाद को खत्म किया जाना चाहिए.

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Islamic Revolution: इस समय दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ती दिख रही है. एक तरफ यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं दूसरी तरफ हमास और इजरायल के बीच भी युद्ध दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. अब इजरायल ने भी ईरान पर हमला कर दिया है और दोनों देशों के बीच युद्ध बढ़ता जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अब अमेरिका भी इस युद्ध में उतरने वाला है. ऐसे में ईरान में बदलाव की आहट सुनाई दे रही है.

कट्टरपंथी शासन के खिलाफ आवाज

ईरान के पूर्व क्राउन प्रिंस रेजा पहलवी ने एक बार फिर कट्टरपंथी शासन के खिलाफ आवाज उठाई है और देश में सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता की वकालत की है. उन्होंने कहा कि ईरान से इस्लामी कट्टरवाद को खत्म किया जाना चाहिए. रेजा पहलवी को मौजूदा सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई का कट्टर विरोधी माना जाता है. उनके इस बयान को ईरान में लोकतांत्रिक बदलाव की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है.

इस्लामिक क्रांति से पहले का ईरान

1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले, रजा शाह पहलवी के शासनकाल में ईरान को एक प्रगतिशील और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश माना जाता था. उस समय ईरान में धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता का माहौल था.

रजा पहलवी उसी स्वर्णिम युग को पुनर्जनन की परिकल्पना करते हैं, जहां सभी नागरिकों को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्राप्त हो. उनका मानना है कि वर्तमान शासन की कट्टर नीतियों ने ईरान की प्रगति को अवरुद्ध कर दिया है.

भविष्य में क्या हो सकता 

रजा पहलवी ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि ईरान में लोकतांत्रिक शासन की स्थापना हो. उन्होंने कहा, "यह बदलाव का सबसे उपयुक्त समय है. हमें एक ऐसा ईरान चाहिए जहां हर नागरिक की आवाज सुनी जाए और उसे सम्मान मिले."

उनके इस बयान ने विश्वभर में बसे ईरानी समुदाय और लोकतंत्र समर्थकों के बीच नई उम्मीद जगाई है. रजा पहलवी का यह बयान न केवल ईरान के भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भी चर्चा का विषय बन गया है. उनके विचारों ने ईरान में बदलाव की मांग को और मजबूती दी है.