पाकिस्तान की दोहरी चाल! खुद को दोस्त बताकर पर्दे के पीछे तालिबान के खिलाफ रची बड़ी साजिश

पाकिस्तान एक बार फिर अपने दोहरे रवैये के कारण चर्चा में है. 25 और 26 अगस्त को इस्लामाबाद में "पाक-अफ़ग़ान वार्ता एकता और विश्वास की ओर" नाम से आयोजित होने वाली एक बैठक तालिबान विरोधी नेताओं को एक मंच प्रदान करने के लिए तैयार है.

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Pakistan vs Taliban: पाकिस्तान एक बार फिर अपने दोहरे रवैये के कारण चर्चा में है. 25 और 26 अगस्त को इस्लामाबाद में "पाक-अफ़ग़ान वार्ता एकता और विश्वास की ओर" नाम से आयोजित होने वाली एक बैठक तालिबान विरोधी नेताओं को एक मंच प्रदान करने के लिए तैयार है.

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में अफ़ग़ानिस्तान के राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, महिला अधिकार कार्यकर्ता और विपक्षी आंदोलनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. इस कार्यक्रम का आयोजन दक्षिण एशियाई सामरिक स्थिरता संस्थान, इस्लामाबाद विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है, जिसमें मानवाधिकारों, महिलाओं की स्थिति और अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य पर चर्चा होगी.

तालिबान के खिलाफ नैरेटिव की रणनीति?

यह अनौपचारिक बैठक तालिबान की सत्ता को चुनौती देने का एक प्रयास मानी जा रही है. पाकिस्तान इस आयोजन के जरिए तालिबान के खिलाफ आतंकवाद का नैरेटिव स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, पूर्व अमेरिकी दूत जल्माय खलीलजाद ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इस तरह की बैठक क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकती है.

खलीलजाद ने इसे "नासमझी और उकसावे वाला" कदम बताया, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंधों को और बिगाड़ सकता है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तालिबान ने जवाबी कार्रवाई की, तो स्थिति और जटिल हो सकती है.

पाकिस्तान का आतंकवाद का दावा 

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में दावा किया कि अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और इस्लामिक स्टेट-खुरासान (ISIL-K) जैसे आतंकी समूह सक्रिय हैं. पाकिस्तानी दूत असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि TTP के करीब 6,000 लड़ाके और ISIL-K के 2,000 आतंकी अफगानिस्तान में मौजूद हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं. हालांकि, तालिबान ने इन दावों को खारिज किया है. संयुक्त राष्ट्र की मॉनिटरिंग कमेटी ने भी TTP की मौजूदगी की पुष्टि की है, जिससे पाकिस्तान के दावों को बल मिलता है.

नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट का इनकार 

अफगानिस्तान के नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है. दूसरी ओर, तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अपना पाकिस्तान दौरा रद्द कर दिया, जो पिछले हफ्ते होने वाला था. 

त्रिस्तरीय वार्ता और चीन का दबदबा

20 अगस्त को काबुल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के विदेश मंत्रियों की त्रिस्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में आतंकवाद, सुरक्षा और व्यापार पर चर्चा हुई. हालांकि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कोई ट्रेड डील नहीं हुई, लेकिन चीन ने अपने हित साध लिए. उसने चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को काबुल तक विस्तार देने की सहमति हासिल कर ली.

पाकिस्तान की यह रणनीति तालिबान को कमजोर करने की कोशिश तो हो सकती है, लेकिन यह क्षेत्रीय अस्थिरता को भी बढ़ा सकती है. इस्लामाबाद की दोहरी नीतियां और तालिबान विरोधी नेताओं को मंच देना न केवल अफगानिस्तान के साथ उसके संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि क्षेत्र में नई चुनौतियां भी खड़ी कर सकता है.