Saudi Arabia: सऊदी अरब ने हाल ही में प्रख्यात पत्रकार तुर्की अल-जस्सर को आतंकवाद, देशद्रोह और विदेशी संस्थाओं के साथ सहयोग जैसे गंभीर आरोपों में दोषी ठहराते हुए फाँसी दे दी. सऊदी गृह मंत्रालय ने शनिवार को इस निष्पादन की घोषणा की, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है.
तुर्की अल-जस्सर को 2018 में गिरफ्तार किया गया था, और सात वर्षों तक हिरासत में रखने के बाद यह कठोर कदम उठाया गया. सऊदी अधिकारियों का मानना था कि अल-जस्सर एक ट्विटर (अब एक्स) खाते के पीछे थे, जो सऊदी शाही परिवार में भ्रष्टाचार के आरोपों को उजागर करता था.
आरोप और विवाद
अल-जस्सर पर आतंकवाद को वित्तपोषण करने, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने और विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए गए. उनकी गिरफ्तारी के बाद, उन्हें कानूनी प्रतिनिधित्व और परिवार से संपर्क की अनुमति नहीं दी गई.
मानवाधिकार संगठनों ने दावा किया कि हिरासत के दौरान उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाओं का सामना करना पड़ा. इस निष्पादन ने सऊदी अरब की न्याय प्रणाली पर सवाल उठाए हैं, विशेष रूप से निष्पक्ष सुनवाई और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों पर.
सऊदी ने इस मामले में क्या कहा?
कट्टरपंथी समूहों ने सऊदी शहजादे पर अल-जस्सर को जल्द रिहा करने के लिए दबाव डाला था, लेकिन सऊदी सरकार ने इस मांग को ठुकराते हुए कठोर कार्रवाई की. यह कदम सऊदी अरब के असहमति के प्रति सख्त रवैये को दर्शाता है, जो आधुनिकीकरण के प्रयासों और आंतरिक सुधारों के बीच तनाव को उजागर करता है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस निष्पादन की कड़ी निंदा की है. यह घटना सऊदी अरब में प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी पर गंभीर सवाल उठाती है.