मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बेटे को प्रोटोकॉल देना पड़ा भरी, निजी सचिव फंसे, पद से हटाए गए

उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बेटे अभिषेक सिंह को बिना किसी आधिकारिक पद के प्रोटोकॉल प्रदान करने का मामला सुर्खियों में है. इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि मंत्री के निजी सचिव आनंद शर्मा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.

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Swatantra Dev Singh: उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बेटे अभिषेक सिंह को बिना किसी आधिकारिक पद के प्रोटोकॉल प्रदान करने का मामला सुर्खियों में है. इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि मंत्री के निजी सचिव आनंद शर्मा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.

यह विवाद तब शुरू हुआ जब आनंद शर्मा ने जालौन के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर अभिषेक सिंह के लिए विशेष प्रोटोकॉल और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

पत्र ने मचाया बवाल

14 अगस्त को लिखे गए इस पत्र में निजी सचिव ने जालौन प्रशासन को निर्देश दिया था कि अभिषेक सिंह को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उरई में आयोजित तिरंगा यात्रा के दौरान मंत्री जैसी सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान की जाए.

पत्र में उनके स्वागत, आवागमन और सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही गई थी. इस पत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला तूल पकड़ गया. तस्वीरों में अभिषेक सिंह के साथ एक गनर की मौजूदगी ने विपक्ष को बीजेपी पर हमला करने का मौका दे दिया.

बीजेपी पर निशाना

समाजवादी पार्टी ने इस घटना को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला. सपा ने आरोप लगाया कि बीजेपी एक ओर वीआईपी कल्चर और परिवारवाद खत्म करने की बात करती है, लेकिन सत्ता में आने पर खुद इसका हिस्सा बन जाती है. सपा प्रवक्ता ने कहा, “बीजेपी का दोहरा चरित्र उजागर हो गया है. यह घटना दिखाती है कि सत्ता में रहते हुए बीजेपी नेताओं का वीआईपी रवैया कितना हावी है.”

सीएम और केंद्रीय नेतृत्व की नाराजगी

पत्र और तस्वीरों के वायरल होने के बाद यह मामला उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा. दोनों स्तरों पर इस घटना पर कड़ी नाराजगी जाहिर की गई. नतीजतन, मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अपने निजी सचिव आनंद शर्मा को पद से हटा दिया. यह कदम विवाद को शांत करने और पार्टी की छवि को नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया.

क्या है पूरा मामला?

स्वतंत्रता दिवस पर उरई में बीजेपी की तिरंगा यात्रा में शामिल होने पहुंचे अभिषेक सिंह को प्रशासन ने गनर सहित विशेष सुरक्षा प्रदान की थी, जबकि उनके पास कोई आधिकारिक पद नहीं है. इस विशेष व्यवस्था ने सवाल खड़े किए कि क्या बीजेपी नेताओं के परिजनों को भी प्रोटोकॉल का लाभ मिलना चाहिए.

इस घटना ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि बीजेपी की ‘सबका साथ, सबका विकास’ की नीति पर भी विपक्ष ने कटाक्ष किया.

आगे क्या?

यह घटना उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रहेगी. बीजेपी के लिए यह एक सबक है कि ऐसी घटनाएं उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं. वहीं, विपक्ष इस मामले को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा.