Iranian attacks: मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है, और इस बीच सऊदी अरब और अमेरिका इजरायल की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. यह सहयोग तब सामने आया जब ईरान ने इजरायल के परमाणु ठिकानों पर हमले के जवाब में 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. सऊदी अरब का यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीतिक संतुलन को दर्शाता है.
अमेरिका की सक्रिय भूमिका
अमेरिका ने भी इजरायल की सुरक्षा के लिए अपने उन्नत रडार सिस्टम और वायु रक्षा तंत्र को सक्रिय कर दिया है. अमेरिकी नौसेना और पैट्रियट डिफेंस सिस्टम ने ईरानी मिसाइलों को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
X पर वायरल पोस्ट्स के अनुसार, अमेरिकी THAAD और मिसाइल शील्ड सिस्टम ने इजरायल के तेल अवीव जैसे प्रमुख शहरों को निशाना बनाने वाली मिसाइलों को नष्ट किया.
अमेरिका ने स्पष्ट किया कि वह इजरायल के साथ खड़ा है, लेकिन सीधे हमलों में शामिल नहीं है. इसी बीच ट्रंप ने ईरान को धमकी दे दी है अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि US ठिकानों पर हमले की कोशिश की तो इसका जवाब हमले से ही मिलेगा.
जानें सऊदी का रुख
सऊदी अरब, जो पहले ईरान के साथ तनावपूर्ण संबंध रखता था, ने हाल के वर्षों में कूटनीतिक रिश्ते सुधारे हैं. फिर भी, इजरायल को रडार सहायता प्रदान करना सऊदी की तटस्थता और क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सहयोग मध्य पूर्व में एक बड़े युद्ध को रोकने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. ईरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जिससे मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ सकता है. सऊदी अरब और अमेरिका की यह संयुक्त रणनीति क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कितनी कारगर होगी, यह समय बताएगा.