United Nations: संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की आम सभा में फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. फ्रांस ने स्पष्ट रूप से यूएन में फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की है, जबकि ब्रिटेन, कनाडा और पुर्तगाल जैसे देश भी इस दिशा में समर्थन जता रहे हैं. हालांकि, सवाल यह है कि जब 130 से अधिक देश पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं, तो यह स्वतंत्र राष्ट्र क्यों नहीं बन पा रहा? आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझें.
स्वतंत्र राष्ट्र बनने की प्रक्रिया
कोई भी क्षेत्र स्वतंत्र देश बनने का दावा तभी कर सकता है, जब उसके पास निश्चित भौगोलिक सीमा, जनसंख्या और शांतिप्रिय शासन हो, जो यूएन चार्टर का पालन करता हो. लेकिन स्वतंत्र देश बनने और यूएन की पूर्ण सदस्यता प्राप्त करने में अंतर है. यूएन की सदस्यता किसी देश को अंतरराष्ट्रीय वैधता प्रदान करती है, जिससे कूटनीतिक संबंध स्थापित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने में आसानी होती है.
यूएन में फिलिस्तीन की सदस्यता का रास्ता
फिलिस्तीन को अभी तक यूएन में पूर्ण सदस्यता नहीं मिली है. इसके लिए उसे यूएन चार्टर के अनुच्छेद-4 का पालन करना होगा. प्रक्रिया के तहत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में प्रस्ताव पेश किया जाता है. यूएनएससी में 5 स्थायी सदस्य (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन) और 10 अस्थायी सदस्य (पनामा, गयाना, अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, पाकिस्तान, कोरिया गणराज्य, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया, सोमालिया) शामिल हैं. प्रस्ताव पास होने के लिए दो शर्तें हैं:
अमेरिका की वीटो चुनौती
फिलिस्तीन की राह में सबसे बड़ी बाधा अमेरिका है, जो इसका विरोध करता रहा है. पिछले अवसर पर अमेरिका ने वीटो का उपयोग कर प्रस्ताव को रोक दिया था, जिससे फिलिस्तीन की सदस्यता का मामला अटक गया.
क्या है भविष्य की संभावना?
यूरोप और मध्य पूर्व के कई देश फिलिस्तीन के पक्ष में खड़े हैं. फ्रांस और बेल्जियम जैसे देशों ने फिलिस्तीन में दूतावास खोलने की बात कही है. कोसोवो की तरह, जिसे 100 से अधिक देशों का समर्थन है, लेकिन रूस और चीन के वीटो के कारण यूएन सदस्यता नहीं मिली, फिलिस्तीन भी स्वतंत्र राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है. विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक समर्थन से फिलिस्तीन का रास्ता अब आसान हो सकता है.