पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा योजना का नाम बदलकर VB-G RAM G करने के फैसले को गंभीर चुनौती बताया है. मान ने इसे गरीबों के हक पर हमला करार दिया और कहा कि यह योजना की मूल भावना को खत्म करने की कोशिश है.
उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों पर कड़ा प्रहार करते हुए राज्य सरकार की ओर से जनवरी के दूसरे सप्ताह में पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलना केवल दिखावे की राजनीति है. उन्होंने स्पष्ट किया कि गरीबों और मजदूरों के लिए वास्तविक बदलाव योजना में वित्त और लाभ वितरण में होना चाहिए. मान ने कहा कि पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस मुद्दे पर पंजाबियों की आवाज उठाई जाएगी.
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने VB-G RAM G बिल को “सुनियोजित धोखा” करार दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार योजना के वित्तीय मॉडल में बदलाव कर गरीबों के अधिकार कमजोर कर रही है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस बिल का विरोध करते हुए इसे मनरेगा की आत्मा को खत्म करने की साजिश बताया.
नए बिल में केंद्र-राज्य फंड शेयरिंग मॉडल 60:40 रखा गया है. अब राज्यों को 40 प्रतिशत खर्च वहन करना होगा. मांग आधारित बजट के बजाय “नॉर्मेटिव फंडिंग” लागू होगी, और केवल केंद्र द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध होगा. बेरोजगारी भत्ते की समयबद्धता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये बदलाव योजना को अधिकार आधारित से विवेकाधीन बना देंगे.
पंजाब के विभिन्न जिलों में खेत मजदूर यूनियनों और स्थानीय संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. बठिंडा, मोगा, मुक्तसर, फरीदकोट और संगरूर में केंद्र सरकार के पुतले फूंके गए. मजदूर नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर बिल लागू हुआ तो ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा रेखा भी खतरे में पड़ जाएगी.
मनरेगा योजना 2005 में यूपीए सरकार के तहत शुरू की गई थी. इसने पिछले 20 वर्षों में ग्रामीण भारत के करोड़ों परिवारों को रोजगार की गारंटी दी है. अब योजना के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं. पंजाब सरकार ने कहा कि यह लड़ाई गरीबों के अधिकारों की रक्षा के लिए है और किसी भी तरह के बदलाव से योजना की मूल भावना प्रभावित नहीं होने दी जाएगी.