Netherlands Belgium wind theft: नीदरलैंड और बेल्जियम के बीच एक अनोखा विवाद सुर्खियों में है. चोरी के मामले आमतौर पर पैसे, संपत्ति या कीमती सामान से जुड़े होते हैं, लेकिन इस बार नीदरलैंड ने अपने पड़ोसी देश बेल्जियम पर हवा चोरी करने का गंभीर आरोप लगाया है.
यह मामला उत्तरी सागर में लगे पवन फार्मों से जुड़ा है, जहां बेल्जियम के पवन टर्बाइन कथित तौर पर नीदरलैंड की हवा को प्रभावित कर रहे हैं. आइए जानते हैं इस दिलचस्प विवाद की पूरी कहानी.
पवन फार्मों से शुरू हुआ विवाद
नीदरलैंड की एक प्रमुख मौसम पूर्वानुमान कंपनी, विफल, के सीईओ रेम्को वर्जिल्बर्ग ने बेल्जियम के एक प्रसारण चैनल को दिए साक्षात्कार में यह दावा किया. उन्होंने कहा कि बेल्जियम के पवन फार्म अनजाने में नीदरलैंड के पवन ऊर्जा संसाधनों को कमजोर कर रहे हैं.
बेल्जियम के पवन टरबाइन, जो उत्तरी सागर में नीदरलैंड के पवन फार्मों के दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं, हवा की दिशा के कारण डच पवन फार्मों तक पहुंचने वाली हवा की गति को कम कर रहे हैं.
हवा चोरी का तकनीकी पहलू
वर्जिल्बर्ग ने बताया कि पवन टरबाइन हवा से ऊर्जा निकालने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. जब हवा इन टरबाइनों से गुजरती है, तो उसकी गति कम हो जाती है. बेल्जियम के टरबाइन, जो दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित हैं, जहां से हवा अक्सर आती है, नीदरलैंड के टरबाइनों तक पहुंचने वाली हवा को प्रभावित करते हैं. उनके अनुसार, इससे नीदरलैंड के पवन फार्मों को 3% तक ऊर्जा का नुकसान हो रहा है.
भविष्य में बढ़ सकता है विवाद
रेम्को ने चेतावनी दी कि जैसे-जैसे देश कार्बन तटस्थता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिक पवन फार्म स्थापित करेंगे, यह मुद्दा और गंभीर हो सकता है. बेल्जियम का लक्ष्य 2030 तक उत्तरी सागर में छह गीगावाट की पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है. ऐसे में, पवन ऊर्जा के इस अनजाने “हस्तक्षेप” को रोकने के लिए दोनों देशों के बीच बेहतर समन्वय और नियोजन की आवश्यकता है.
वर्जिल्बर्ग ने इस मुद्दे को पूरी तरह से अनजाना बताया और सुझाव दिया कि भविष्य में पवन फार्मों की स्थापना में दोनों देशों को मिलकर योजना बनानी चाहिए. इससे न केवल ऊर्जा उत्पादन में दक्षता बढ़ेगी, बल्कि सीमा विवाद जैसी स्थिति भी टाली जा सकेगी.