Israel diplomatic relations With Arab countries: अमेरिका के सहयोग से इजरायल अरब देशों के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने हाल ही में घोषणा की कि उनका देश अपने पुराने दुश्मन सीरिया और लेबनान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित करना चाहता है.
हालांकि, गोलान हाइट्स विवाद इस राह में सबसे बड़ी बाधा बन सकता है. गिदोन सार ने यरुशलम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम सीरिया और लेबनान जैसे पड़ोसी देशों को शांति और सहयोग के दायरे में लाना चाहते हैं, लेकिन इजरायल की सुरक्षा और हितों की रक्षा करना सर्वोपरि है. गोलान हाइट्स इजरायल का अभिन्न अंग बना रहेगा.
ईरान के लिए खतरा
ईरान ने अपने ‘एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस’ के तहत हिजबुल्लाह को मजबूत करने के लिए सीरिया को हथियारों के परिवहन का प्रमुख रास्ता बनाया है. यदि इजराइल सीरिया के साथ संबंध सुधारने में सफल होता है, तो यह ईरान के लिए बड़ा झटका होगा. लेकिन गोलान हाइट्स का मुद्दा इस कूटनीतिक सपने को तोड़ सकता है. एक वरिष्ठ सीरियाई अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि सीरिया गोलान हाइट्स को कभी नहीं छोड़ेगा, क्योंकि यह उसका अभिन्न हिस्सा है.
अरब देशों के साथ बढ़ते रिश्ते
यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां से सीरिया की राजधानी दमिश्क पर नजर रखी जा सकती है. अमेरिका ने 2019 में गोलान पर इजराइल की संप्रभुता को मान्यता दी थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे सीरिया का हिस्सा मानता है.
मिस्र (1979), जॉर्डन (1994), और 2020 में यूएई, बहरीन व मोरक्को के बाद इजराइल अरब देशों के साथ संबंधों को और मजबूत करना चाहता है. लेकिन गोलान हाइट्स का विवाद सीरिया के साथ शांति की राह में रोड़ा बन सकता है.